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MP Crime
India News (इंडिया न्यूज), MP Crime: मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां एक घर में 12 स्कूली बच्चों को अवैध रूप से रखे जाने की सूचना पर पुलिस ने छापेमारी कर सभी बच्चों को रेस्क्यू किया। इस कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को शिकायत मिली कि दमोह की क्रिश्चियन कॉलोनी* में एक घर में बच्चों को अनाधिकृत रूप से रखा जा रहा है। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने देर रात रेड की कार्रवाई की।
जैसे ही पुलिस प्रवीण शुक्ला नाम के व्यक्ति के घर पहुंची और तलाशी लेनी चाही, मकान मालिक ने पहले अपने वकील को बुला लिया। इस दौरान पुलिस और वकील के बीच बहस भी हुई, लेकिन पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए आखिरकार तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान 12 बच्चे बरामद किए गए, जिन्हें एक हॉस्टल जैसी व्यवस्था में रखा गया था।
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रेस्क्यू के तुरंत बाद, पुलिस ने महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति और मानव अधिकार आयोग के अधिकारियों को मौके पर बुलाया। प्राथमिक जांच में पता चला कि कुछ बच्चे दमोह जिले के हैं, जबकि कुछ छत्तीसगढ़ से आए हैं। पुलिस ने सभी बच्चों को रात 4 बजे सरकारी हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया।
प्रवीण शुक्ला, जिनके घर से बच्चों को बरामद किया गया, ने पुलिस के सामने बयान दिया कि ये सभी बच्चे नव जागृति स्कूल के छात्र हैं और उनके माता-पिता ने इन्हें किराए पर रहने के लिए यहां रखा था। उन्होंने यह भी बताया कि सभी के पास किरायानामा है, लेकिन उनकी गलती यह रही कि उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी।
इस मामले में शिकायतकर्ता बाल कल्याण समिति के सदस्य दीपक तिवारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि इस घर में बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा दी जा रही थी और धर्मांतरण का बड़ा खेल चल रहा था। इसी के आधार पर पुलिस को सूचना दी गई और छापा मारा गया।
कोतवाली थाना प्रभारी आनंद राज, जो इस रेड के प्रभारी थे, ने बताया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के पत्र के बाद यह छापेमारी की गई। मामला संदेहास्पद लग रहा है, इसलिए महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम गहराई से जांच कर रही है। फिलहाल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है और पुलिस सभी दस्तावेजों की जांच कर रही है। आगे की कार्रवाई जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी।
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