संबंधित खबरें
ED Raid: ईडी की रडार पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई बड़े कारोबारी…जानें कहां-कहां मारा ईडी ने छापा
मध्य प्रदेश में टीचर के टॉर्चर से परेशान छात्र ने किया ये हाल, जानें पूरा मामला
हैवान बने ससुराली, पहले बहू के प्राइवेट पार्ट में डाली मिर्ची, इसके आगे जो किया जानकर सिहर जाएंगे
चोइथराम में किसानों का हंगामा, मंडी के गेट पर जमकर किया विरोध प्रदर्शन
नेशनल हाईवे पर हुआ दर्दनाक हादसा, बस अनियंत्रित होकर पलटी, एक की मौत, 20 से ज्यादा यात्री गंभीर रूप से घायल
इंदौर में अवैध हॉस्टल निर्माण पर जेसीबी का पंजा, नगर निगम की कड़ी कार्रवाही
India News (इंडिया न्यूज),MP News: उज्जैन में कार्तिक माह की बैकुंठ चतुर्दशी की अर्ध रात्रि को अदभुत नजारा देखने को मिला। यहाँ भगवान भोलेनाथ अपनी सवारी के साथ गोपाल मंदिर पहुचे और परंपरा अनुसार भगवान श्री कृष्ण को पृथ्वी का भार सोंप कर केलाश पर्वत चले गए। भगवान श्री कृष्ण और भगवान भोलेनाथ के इस मिलन को हरि हर मिलन के रूप में मनाया गया।
दरअसल हरि हर मिलन के नाम पर उज्जैन में हजारो वर्षो से चली आ रही यह परंपरा अदभुत है। यहाँ हरि से आशय श्री कृष्ण से और हर से आशय महादेव से हे। मान्यता हे की इस दिन भगवान शंकर पृथ्वी का समग्र भार बैकुंठ के वासी श्री कृष्ण को सोंप कर चार माह के लिए केलाश पर्वत चले जाते हे। इस परंपरा के बाद से ही समग्र मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हे। रात्रि दो बजे भगवान भोलेनाथ और श्री कृष्ण के मिलन का नजारा देखते हे बन रहा था। हरी हर मिलन के इस अवसर पर देर रात महाकाल राजा पालकी में सवार हो कर अपने लाव लश्कर के साथ विभिन्न मार्गो से होते हुवे गोपाल मंदिर पहचे। इस दोरान भक्तो ने जोरदार आतिश बाजी की और भक्ति में झूमते गाते नजर आये। इस अदभुत नज़ारे को देखने के लिए देर रात तक भक्तो की भारी भीड़ जमा रही।
बिहार में आज से बढ़ी ठंड! घने कोहरे से छाया उत्तर बिहार, जानें IMD रिपोर्ट
परम्परा अनुसार रात्रि 12 बजे महाकाल मंदिर के सभा मंडप में भगवान महाकाल को पालकी में विराजित किया गया। इसके पहले यहां कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा और मन्दिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने पालकी का पूजन किया। पूजन की परंपरा मन्दिर के मुख्य पुजारी घनश्याम गुरु ने निभाई। पालकी में सवार होकर बाबा महाकाल जैसे ही मन्दिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे तो पुलिस जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना हुई। इस दौरान पुलिस बेंड और पुलिस जवानों का दल पालकी के आगे चल रहा था। यहां भजन मंडलियों में शामिल भक्त बाबा की भक्ति में झूमते गाते नजर आए।
बाबा महाकाल की सवारी जब गोपाल मंदिर पर पहुंची तो यहां परंपरा का एक अनूठा नजारा देखने को मिला। बाबा महाकाल के गले से बिलपत्र की माला निकाल कर भगवान कृष्ण के गले में पहनाई गई। वहीं भगवान कृष्ण के गले की तुलसी की माला निकालकर भगवान शिव को पहनाई। मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पृथ्वी का सारा भार भगवान कृष्ण को सौप कर कैलाश पर्वत चले जाते है। इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी के बाद से सभी मांगलिक कार्य फिर शुरू होते हैं।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.