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धारण करते हैं दुसरा भेस! देवी-देवता इन रुपों में देते हैं दरशन, अगर महाकुंभ में मिल जाए ये वस्तु तो पलट जाएगा भाग्य!

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : January 22, 2025, 11:55 am IST
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धारण करते हैं दुसरा भेस! देवी-देवता इन रुपों में देते हैं दरशन, अगर महाकुंभ में मिल जाए ये वस्तु तो पलट जाएगा भाग्य!

Mahakumbh 2025: धारण करते हैं दुसरा भेस!

India News (इंडिया न्यूज),Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। साधु-संत अपने-अपने शिविरों में अग्नि जलाकर भगवान की भक्ति में लीन हैं। दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को होने जा रहा है। प्रयागराज प्रशासन के मुताबिक इस अमृत स्नान में 8 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि अमृत स्नान पर पहला अधिकार नागा साधुओं को दिया गया है। नागा साधु अपने अखाड़े के साथ महाकुंभ में कल्पवास कर रहे हैं।

प्रयागराज का अलग ही महत्व है

महाकुंभ 12 साल बाद आता है। ऐसे में मान्यता है कि महाकुंभ में देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व समेत सभी देवी-देवता संगम में स्नान करने आते हैं। कुंभ देश में सिर्फ चार जगहों और 5 नदियों के तट पर लगता है, जिसमें उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयागराज शामिल हैं। उज्जैन में क्षिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है। इस वजह से प्रयाग के महाकुंभ को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

किस रूप में आते हैं देवी-देवता?

हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस भूमि पर महाकुंभ लगता है, उसे बहुत पवित्र माना जाता है। इस पवित्र भूमि पर पैर रखने मात्र से ही व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। हर कुंभ मेले में देवी-देवता भी साधु-संतों का आशीर्वाद लेने धरती पर आते हैं। मान्यता है कि ये देवी-देवता नागा साधुओं का रूप धारण कर अमृत स्नान करते हैं। जब नागा साधुओं की टोली चलती है तो वे भी उनके साथ शामिल हो जाते हैं और भगवान शिव की स्तुति करते हैं।

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अगर मिल जाए प्रसाद

अगर इस दौरान उनके हाथ से फूल, माला, भस्म या कोई भी प्रसाद मिल जाए तो ऐसा माना जाता है कि दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है। साथ ही, उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वह मृत्यु के बाद स्वर्ग जाता है।

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