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India News (इंडिया न्यूज), IITian Baba: महाकुंभ के दौरान चर्चा में रहे आईआईटी बाबा को जूना अखाड़े में प्रवेश से रोक दिया गया है। तब से उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। उन्हें जहां जगह मिलती है, वहीं बस जाते हैं। इस बार आईआईटी बाबा उर्फ अभय सिंह संगम के पास देर रात तंत्र-मंत्र करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत की है। इस बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि आप यहां क्या कर रहे हैं? इस तंत्र-मंत्र से किस तरह की ऊर्जा उत्पन्न होती है? तो उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह एक संतुलित ऊर्जा है।
इस बारे में आगे जानकारी देते आईआईटी वाले बाबा ने बताया कि, एक ब्रह्मांड का संतुलन। अगर मैं ब्रह्मांड के साथ तालमेल में आ जाऊं, तो ब्रह्मांड की ऊर्जा भी तालमेल में आ जाएगी। इस ऊर्जा के लिए ध्यान की जरूरत होती है। अभय तंत्र-मंत्र को आगे समझाते हुए कहते हैं कि इस ऊर्जा के लिए मैं अपनी तरफ धूपबत्ती रखता हूं, फिर ऊर्जा के हिसाब से दीपक रखता हूं। इस बातचीत को आगे बढ़ाते हुए आईआईटी वाले बाबा कहते हैं कि भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन आप भविष्य के बारे में सोच जरूर सकते हैं। आप भविष्य के लिए योजना भी बना सकते हैं। लेकिन चिंता का मतलब है तनाव। हर वर्तमान क्षण को 100 प्रतिशत जीना है। भविष्य में चीजें उसी के अनुसार होंगी।
इसके अलावा आईआईटी वाले बाबा ने जीवन के पहलुओं को समझाया। वह कहते हैं कि ब्रह्मांड की प्रवृत्ति परिवर्तन की है। हम चाहते हैं कि अगर हमारे साथ कुछ अच्छा हो रहा है तो हो जाए, सब कुछ स्थिर रहे। लेकिन ऐसा हर बार संभव नहीं है। लोग भूल जाते हैं कि सबकी मृत्यु निश्चित है। जिसने जन्म लिया है वह मरेगा ही, मानव शरीर के अलावा भी कुछ है। आत्मा, वह मरती नहीं।
जूना अखाड़ा की नाराजगी पर आईआईटीयन बाबा ने खुलकर तो बात नहीं की। हालांकि, इसपर उन्होंने कहा कि, बहुत से लोग हैं जो जब तक लाभ ले रहे हैं, तब तक आपका फायदा उठाते हैं। फिर बाद में आप जो भी कर रहे हैं, वह सब झूठ हो जाता है। इसके अलावा अभय ने डायरी दिखाते हुए कहा कि, मैंने इसमें पहचान लिखी है। मैंने सृष्टि की रचना बताई है। मैंने पुराणों और गणित के हिसाब से इसकी व्याख्या की है। जब सब कुछ एक था, तो यह अनेक क्यों हो गया, इच्छाओं के कारण। मैंने यह भी बताया है कि इच्छा और वासना ही मूल कारण हैं। इसमें लिखने से पहले मुझे ध्यान करना होगा।
जूना अखाड़े के 16 मढ़ी आश्रम में मौजूद अन्य साधुओं के अनुसार अभय सिंह लगातार इंटरव्यू दे रहे थे, इससे उनके दिमाग पर असर पड़ रहा था और उन्होंने मीडिया को कुछ ऐसी बातें भी कहीं जो उचित नहीं थीं। उन्हें जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के पास भी ले जाया गया। अभय सिंह की मानसिक स्थिति को देखते हुए जूना अखाड़े ने फैसला किया कि उन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और इसके बाद अभय देर रात आश्रम से चले गए।
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