संबंधित खबरें
रूह कंपा देगा अघोरी बाबा का ये नृत्य, खोपड़ियों की माला लटकाये उड़ा रहे भस्म, वीडियो देखने के लिए चाहिए कलेजा
महाकुंभ में होगा ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ कार्यक्रम का आयोजन, संविधान और नागरिक अधिकारों को लेकर जोर
IIT वाले बाबा ने कलियुग के अंत पर किया चौंकाने वाला खुलासा, जिस बात से कांप रहे Trump…आने वाली है वही तबाही
महाकुंभ से घर ले जाना न भूलें ये चीजें, मिट जाएंगे सारे कष्ट, छुमंतर होंगे सारे गृह कलेश!
डुबकी लगाने से पहले इस रहस्यमयी देवता की करते हैं पूजा, महाकुंभ अमृत स्नान की ये है परंपरा!
IIT वाले बाबा ने कर ली शादी, चौंका देगा सिंदूर वाला वीडियो, खुद किया अपने जीवनसाथी के नाम का खुलासा
India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025 Naga Sanyasi Emotional Reunion: सनातन का अर्थ है शाश्वत या ‘हमेशा के लिए रहने वाला’, यानी जिसका न आदि हो और न अंत। इसके लिए जीना और इसके लिए अपने प्राणों की आहुति देना ही नागाओं के जीवन का उद्देश्य है। अपना पिंडदान करने वाले और अपना सर्वस्व त्यागने वाले नागा सनातन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। लेकिन एक बात हमेशा से कौतूहल का विषय रही है कि जब नागा संन्यासी शाही स्नान का हिस्सा बनते हैं तो उनके हाव-भाव अचानक क्यों बदल जाते हैं? आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य?
पहले शाही स्नान पहुंचे मीडिया कर्मियों ने कुछ ऐसा ही नोटिस किया। जैसे ही नागा संन्यासी गंगा तट से कुछ दूर पहुंचे तो उनके हाव-भाव अचानक बदलने लगे। इस दौरान उनके हाव-भाव सबको सोचने पर मजबूर कर देते हैं। कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि इस दौरान वे किस तरह की भावनाओं से गुजरते हैं। इस विषय पर जानने के लिए कुछ पत्रकारों ने अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती से बात की।
जवाब में उन्होंने बताया कि आपने कभी किसी बच्चे को देखा है, जब वह अपनी मां की गोद में होता है तो कैसा व्यवहार करता है। निडर, निर्भीक, स्नेह से भरा और किसी भी चीज की परवाह न करने वाला।
नागा साधु स्नान से पहले इसी अवस्था में होते हैं, क्योंकि वे गंगा को अपनी ‘मां’ मानते हैं। आप ही बताइए कि एक बच्चे के मन में क्या भाव होंगे जब वह बहुत दिनों बाद अपनी माँ से मिलता है। इसीलिए जब नागा गंगा के करीब पहुंचते हैं, तो उनके हाव-भाव में अपनी मां से मिलने की उत्सुकता साफ दिखाई देती है।
यह एक ऐसा क्षण होता है जिसे आध्यात्म की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। बच्चों का अपनी माँ से मिलने का यह क्षण कई सालों बाद आता है, इसीलिए उनके हाव-भाव ऐसे हो जाते हैं। इसीलिए शाही स्नान से पहले नागाओं के जो हाव-भाव आप देखते हैं, वे दरअसल मौज-मस्ती वाले होते हैं।
सुभाष चंद्र बोस को घोषित करें ‘राष्ट्रपुत्र’, ओडिशा हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका पर जज ने क्या कहा?
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.