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Bombay HC: महिला का पीछा करना अपराध नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

Shanu kumari • LAST UPDATED : January 2, 2024, 4:03 pm IST
Bombay HC: महिला का पीछा करना अपराध नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

India News(इंडिया न्यूज), Bombay HC: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर फैसला सुनाया है। इस फैसले में कहा गया कि किसी महिला का पीछा करना, उसके साथ दुर्व्यवहार करना और उसे धक्का देना “कष्टप्रद” कृत्य है। लेकिन यह आईपीसी की धारा 354 के तहत शील भंग करने का अपराध नहीं है। साथ वर्धा के प्रथम श्रेणी न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से इस मामले के आरोपी को राहत दी गई है।

  • मजिस्ट्रेट की अदालत ने 9 मई 2016 को उस व्यक्ति को दोषी ठहराया
  • जिसमें उसे दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई

क्या है पूरा मामला 

इस मामले पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने अपीलकर्ता (36 वर्षीय) मजदूर को बरी कर दिया। वहीं फैसले में यह कहा गया कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। मिल रही जानकारी के मुताबिक एक कॉलेज छात्रा ने उस मजदूर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

जिसमें उसने कहा कि उस आदमी ने उसका कई बार पीछा किया। साथ ही उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया। उसने बताया कि एक बार जब वह बाज़ार जा रही थी, तो उसने साइकिल पर उसका पीछा किया। बाद में उसे धक्का दिया। मजिस्ट्रेट की अदालत ने 9 मई 2016 को उस व्यक्ति को दोषी ठहराया। जिसमें उसे दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। सत्र अदालत ने 10 जुलाई, 2023 को फैसले को बरकरार रखा।

हाईकोर्ट ने क्या कहा

व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए HC ने कहा कि “ऐसा मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता ने उसे अनुचित तरीके से छुआ है या उसके शरीर के किसी विशिष्ट हिस्से को धक्का दिया है। जिससे उसकी स्थिति शर्मनाक हो गई है। केवल साइकिल पर आवेदक ने उसे धक्का दिया था, मेरे विचार से ऐसा कोई कार्य नहीं कहा जा सकता जो उसकी शालीनता की भावना को झकझोरने में सक्षम हो।”

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