Chhath Puja 2022 Day 2: बिहार के महापर्व छठ का आगाज हो चुका है। छठ के महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई है। छठ का पहला दिन नहाय खाय होता है। जबकी दूसरे दिन को खरना कहते हैं। आज खरना का दिन है। ऐसे में घर से दूर रहने वाले लोग भी अपने घरों के तरफ रूख कर चुके हैं। कुछ लोग पहुच गए हैं तो कुछ बस पहुचने का इंतजार कर रहे हैं। बिहार के लिए छठ सिर्फ एक पर्व ही नहीं हैं बल्कि वहां के लोग इस त्योहार को महशूश भी करते हैं। मानना है कि छठ पूजा उनके इमोशन से जुड़ा है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आज छठ बिहार से निकल कर ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी फैल चुका है।
छठ पूजा में सुहागीन औरतें नाक तक सिंदूर लगााती हैं ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर नाक तक सिंदूर लगाने का क्या महत्व है। बता दें नाक तक सिंदूर सिर्फ छठ पूजा में ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म के बहूत सारे शूभ कार्यो में देखने को मिलता है। नाक तक सिंदूर हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, सिंदूर सुहाग की निशानी होती है। छठ के दिन महिलाएं नाक तक सिंदूर पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि यह सिंदूर जितना लंबा होगा, उतनी ही पति की लंबी उम्र होगी। मान्यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है। लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
हिंदू धर्म में नारंगी रंग के सिंदूर से विवाह भी किया जाता है ऐसे में मानयता ये है कि नारंगी रंग का सिंदूर पति की लंबी आयु के साथ उनके व्यापार में भी बरकत लाता है। उनको हर राह में सफलता मिलती है। वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार नारंगी रंग हनुमान जी का भी शुभ रंग है।
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