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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
Happy 74th Birthday Ajit Doval : आज 20 जनवरी को अजित डोभाल का जन्मदिन हैं। अजित डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। उन्हें कई खुफिया मिशनों में देश का नेतृत्व किया है। अजित डोभाल एक और नाम से मशहूर हैं। अजित को जेम्स बॉन्ड ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। आज अजित डोभाल के जन्मदिन के मौके सोशल मीडिया पर लोग उनके नाम बधाई संदेश भेज रहे हैं।
अजित डोभाल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं। अजित डोभाल ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर, सर्जिकल स्ट्राइक, नगा शांति समझौता, आईएसआईएस के चंगुल से भारतीय नर्सों को सुरक्षित लाना जैस कई मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अजित डोभाल आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। डोभाल भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर्ड हैं और उन्हें कीर्ति चक्र प्राप्त है।
अजित डोभाल ने देश की सुरक्षा के लिए वो काम किए जो कोई दूसरा नहीं कर सकता। अजित डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उनके पिता का नाम जीएम डोभाल था। जीएन डोभाल भी भारतीय सेना में अधिकारी थे। जिसके चलते अजित डोभाल ने अपनी प्रांरभिक पढ़ाई अजमेर के मिलिट्री स्कूल से की। उस समय अजमेर मिलिट्री स्कूल को किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल कहा जाता था।
अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए डोभाल ने 1967 में आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते अजित डोभाल 1968 बैच के केरल कैडर में आईपीएस अधिकारी बन गए। उसके 4 साल बाद 1972 में अजित डोभाल भारत की खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ गए और उसके बाद से देश के खुफिया विभाग में काम कर रहे हैं। अपने शानदार करियर में 7 साल तक वो पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट के तौर पर रहे।
1984 में जब सरकार ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में ब्लू स्टार ऑपरेशन चलाया था तो उसके बाद पंजाब को माहौल काफी खराब हो गया था। उसके बाद सरकार ने पंजाब से आतंकवादियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर चलाया। बताया जाता है कि उन दिनो अमृतसर की गलियों में एक युवक रिक्शा चलाता घूमता था वो एनएसए अजित डोभाल थे। यह भी बताया जाता है कि रिक्शा चला रहे युवक पर खालिस्तानियों को शक हो गया था।
जिसके बाद उस रिक्शेवाल ने अपनी समझदारी से खालिस्तानियों को यह विश्वास दिलाया कि वो आईएसआई का एजेंट है जिसे खालिस्तानियों की मदद के लिए भेजा गया है। उस समय ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजित डोभाल ने अलगाववादियों की पॉजिशन और संख्या बताकर खुफिया एजेंसियों की काफी मदद की थी।
इसके बाद अजित डोभाल 1999 में एक बार फिर चर्चा में आए। 1999 में आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान पर कब्जा कर लिया था और विमान को कंधार ले गए थे। जिसके बाद तालिबानियों से बात करने की जिम्मेदारी अजित डोभाल को सौंपी गई थी। अजित डोभाल ने अपनी कूटनीति से तालिबानियों को अपने पक्ष मे राजी कर लिया था। वो डोभाल ही थे जिनके कारण हाइजैकर्स ने यात्रियों को छोड़ दिया था।
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