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NBF National Conclave 2022 में ‘न्यूज इंडस्ट्री की भविष्य’ को लेकर हुई चर्चा, मीडिया के ये दिग्गज हुए शामिल

PUBLISHED BY: Priyanshi Singh • LAST UPDATED : October 22, 2022, 9:33 am IST
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NBF National Conclave 2022 में ‘न्यूज इंडस्ट्री की भविष्य’ को लेकर हुई चर्चा, मीडिया के ये दिग्गज हुए शामिल

NBF National Conclave 2022 : न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (NBF) नेशनल कॉन्क्लेव में, ग्रुपएम साउथ एशिया के सीईओ प्रशांत कुमार (CEO of GroupM South Asia Prasanth Kumar), मैडिसन मीडिया (Madison Media) के ग्रुप सीईओ विक्रम सखुजा, बीएआरसी के चेयरमैन (BARC chairman) और आईपीजी के सीईओ शशि सिन्हा (Shashi Sinha), TV9 नेटवर्क के एमडी और सीईओ बरुण दास (Barun Das) और आईटीवी नेटवर्क के संस्थापक और राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ‘न्यूज इंडस्ट्री का भविष्य’ विषय पर चर्चा करने और अपने विचार साझा करने के लिए एक साथ आए।

 द बंगाल गजट से 1718 में हुई थी समाचार की शुरूआत

TV9 नेटवर्क के एमडी और सीईओ बरुण दास ने चर्चा शुरू की और कहा कि भारत में समाचार की शुरूआत द बंगाल गजट से 1718 में हुई। 90 के दशक की शुरूआत से मीडिया ने एक अलग दौर देखा है, क्योंकि अब यह एक व्यवसाय में बदल गया है।

न्यूज इंडस्ट्री का भविष्य

ग्रुपएम के सीईओ प्रशांत कुमार ने चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि न्यूज के लिए, हर साल और तिमाही महत्वपूर्ण है। न्यूज के विषय में मुझे लगता है कि यह हमेशा रहेगी। न्यूज इंफोर्मेशन का एक अनिवार्य पहलू है। प्रमाणिक और सही कंटेट हर किसी के लिए उपलब्ध होना जरुरी है। इसलिए कंटेट का संतुलन आवश्यक है। जब व्यवसाय चलाने की बात आती है तो यही वह जगह है जहां हम सभी तरह के साधनों का लाभ उठा सकते हैं। मुझे लगता है कि विज्ञापन व्यवसाय का एक हिस्सा है। कंटेंट, प्रिटिंग मॉडल भी व्यवसाय का ही अंग है।

 लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निभानी है भूमिका

मैडिसन मीडिया के सीईओ विक्रम सखुजा ने कहा, “हमें अभी भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होने की अपनी जिम्मेदारी निभानी है और साथ ही हमें सैलरी देने के साथ-साथ एक बिजनेस की प्रॉफिटेबिलिटी को भी ध्यान रखना है। हम जिस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं वहां पैसा कमाने के दो ही मुख्य साधन हैं, एक विज्ञापन और दूसरा सब्सक्रिप्शन। “जिस तरह से इंडियन न्यूज एक तरफ आगे बढ़ रही है तो दूसरी ओर इसमें बिखराव भी बढ़ रहा है। यदि आपको व्यवसाय में लाभ हासिल करना है तो मिलकर काम करना होगा। हमें अपने कोर वेल्यूज पर काम करना होगा। लोग न्यूज देखने के लिए पैसा खर्च करते हैं, जब वो न्यूज देखते है तो साथ ही हमारे टीवी पर चलने वाले विज्ञापन भी देखते हैं। यदि हमें अपने व्यवसाय को ऊंचाईयों पर ले जाना है तो हमें अपनी वेल्यूज पर काम करना होगा।”

हम एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाते

अपने पैनलिस्टों के बारे में बोलते हुए इअफउ के अध्यक्ष शशि सिन्हा ने कहा कि ‘कंपटीटर होने के बाद भी आप एक दूसरे की मदद करते हैं, ये आश्चर्य की बात है।“आप आपस में लड़ते हैं, लेकिन एक व्यवसाय के रूप में सहयोग करते हैं। हम एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाते। हम इस बारे में विस्तार से बता सकते हैं कि हम कैसे सहयोग करते हैं। न्यूज ब्रॉडकास्टर की सबसे बड़ी बात है आपस में सहयोग करना।

कोई भी नहीं है नंबर एक, नंबर 2, या नंबर 3 

उन्होंने आगे कहा, “कोई भी नंबर एक, नंबर 2, या नंबर 3 नहीं है, हर कोई नंबर 1 है। मुझे लगता है कि अगर आप सहयोग करना शुरू करते हैं और एक-दूसरे से बात करते हैं तो बहुत सारे मुद्दे सुलझ जाएंगे। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि यदि आप मिलकर काम करेंगे तो दुनियाभर को दर्शक आपसे जुड़ेंगे। मैं यही कहना चाहूंगा कि आप मिलकर सभी मुद्दों को हल कर सकते हैं।

शशि सिन्हा ने कहा कि“आज मीडिया एक वॉल्यूम गेम है। वास्तविक निर्णय युवा कर रहे हैं। उनके लिए न्यूज एक शेयर गेम बन गया है।”

समय के साथ इंडस्ट्री हो रही है विकसित

राज्यसभा सांसद और आईटीवी नेटवर्क के संस्थापक कार्तिक शर्मा ने समाचार उद्योग में समस्याओं के बारे में बताया और कहा, ” न्यूज इंडस्ट्री में कई तरह की समस्याएं हैं। इंडस्ट्री बदल रही है साथ ही विकसित भी हो रही है। हमें इसके हर पहलू को कम करने की जरुरत है क्योंकि ये आसान बिजनेस नहीं है। हमें डिस्ट्रीब्यूशन और अन्य कारकों पर ध्यान देने की आवश्कता है। हमने यहां सिर्फ विज्ञापन पर बात की, इंडस्ट्री का स्वरुप बदल रहा है, हमें अपने इनकम फ्लो को भी बदलने की कोशिश करनी होगी। एक-दूसरे की कमियों को दूर करके हम उस मुकाम पर पहुंच सकते हैं। विज्ञापनदाताओं के औचित्य पर सवाल उठाते हुए, कार्तिकेय शर्मा ने कहा, “ऐसा क्यों है कि विज्ञापनदाता केवल नंबर को ही देख रहे हैं? एक चैनल का 5% हिस्सा हो सकता है। लेकिन कौन कह सकता है कि कौन से 5% लोग हैं जो चैनल देख रहे हैं?”

ये भी पढ़ें – NBF National Conclave 2022: केंद्रीय MoS PMO डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा “भारतीय मीडिया में, बंद अध्यायों को खोलना और किसी भी अध्याय को बंद नहीं होने देना एक फैशन बन गया है।”

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