इंडिया न्यूज़, करतारपुर।
Kartarpur Corridor Dera Baba Nanak कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, यह बात आज साबित हुई करतारपुर कॉरिडोर गुरूद्वारा के हजूर में, जो कि पाकिस्तान की धरती पर विराजमान है। जी हां देश की आजादी के समय जब विभाजन हुआ तो मुल्क दो हिस्सों में बंट गया था। उस समय बहुत से परिवार अपनों से बिछड़ गए थे। कुछ तो बाद में मिल गए लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जो आज भी अपनों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे ही दों भाइयों की मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में उम्र के उस पढ़ाव में हुई जब दोनों की उम्र जिंदगी के अंतिम सफर की और कदम रख चुकी है। दोनों सगे भाइयों ने मिलना तो दूर की बात है यह तक मान लिया था कि कहीं परिवार भगवान को ही प्यारा न हो गया हो।
Kartarpur Corridor Dera Baba Nanak 74 साल बाद दो बिछड़े भाइयों के लिए खुशी का वह हसीन पल करतारपुर कॉरिडोर स्थित गुरूद्वारे में उस समय आया जब भारत (Ludhiana) में रहने वाले हबीब और पाकिस्तान (Faisalabad) में रहने वाले उसके भाई मुहम्मद सिद्दीकी जो कि 80 साल के हो चुके हैं पवित्र स्थान पर मिले। महज छह साल के बालपन में जुदा हुए दो भाईयों को आखिर कार वाहेगुरू के दरबार में मिलाप हो ही गया। 74 साल बाद मिले दोनों भाईयों ने एक दूसरे को पहचान लिया और दोनों गले लग कर खूब मिले। दोनों भाइयों की आंखें खुशी से नम थी।
Kartarpur Corridor Dera Baba Nanak पाकिस्तान का करतारपुर कॉरिडोर वह पवित्र स्थान है जहां विभाजन का दंश झेल रहे अपनों की मुरादें पूरी होती रही हैं। क्योंकि यहां जाने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा की जरूरत नहीं है। दोनों ओर से लोग यहां शीश नवाने आते हैं वहीं जो लोग विभाजन के समय अपनों से अलग हो गए थे वह खास कर यही उम्मीद लेकर यहां आते हैं कि काश वाहेगुरू हमारी सुन ले और हमें हमारे बिछड़े परिवार से मिला दे। ऐसा ही एक वाक्य पिछले साल भी हुआ था जब 73 साल के भारत में रहने वाले सरदार गोपाल सिंह (94) और पाकिस्तान के मोहम्मद बशीर (91) दोनों बंटवारे के वक्त जुदा हो गए थे और यहां उनकी मुलाकात हुई थी।
(Kartarpur Corridor Dera Baba Nanak)
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