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इंडिया न्यूज़,दिल्ली।(Mahatma Gandhi Death anniversary): विडम्बना देखिए कि अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर अंग्रेजों से देश को आजादी दिलवाने वाले महात्मा गांधी जी खुद ही हिंसा का शिकार हुए।
दरअसल, आज की ही शाम 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। जिससे ये दिन इतिहास में सबसे दुखद दिनों में शामिल हो गया। बापू उस दिन भी हर दिन की तरह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। उसी समय गोडसे ने उन्हें बहुत करीब से गोली मारी और बापू गांधी,हे राम कहकर दुनिया को अलविदा कह गए।
नाथूराम गोडसे और उनके कुछ साथियों ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश देश को आजादी मिलने के कुछ महीनों बाद ही शुरू कर दी थी। नवंबर और दिसंबर 1947 में ही हथियार जुटाए जाने लगे थे। 20 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में एक धमाका भी किया गया था, लेकिन उस समय किसी कारण बापू पर गोली नहीं चला सके थे।
30 जनवरी 1948 बिरला हाउस में महात्मा गांधी अपने कमरे में सरदार पटेल से चर्चा कर रहे थे। बातचीत गंभीर थी तो समय का पता ही नहीं चला। शाम 5 बजकर 10 मिनट पर दोनों की बात खत्म हुई। ये वो दिन था जब गाधीं जी को प्रार्थना सभा पहुंचने में देर हो गई थी।
आभाबेन और मनुबेन के कंधे पर हाथ रखकर नज़र जमीन पर जमाए हुए गांधीजी चले आ रहे थे। बापू को आते देख इंतज़ार कर रही भीड़ उनका अभिवादन करने लगी। भीड़ ने उन्हें आगे-जाने का रास्ता दिया ताकि वे प्रार्थना सभा में पहुंच सके। उसी भीड में कहीं नाथूराम गोडसे भी खड़ा था। बापू को आता देख नाथूराम गोडसे भीड़ से बाहर आया, दोनों हथेलियों के बीच रिवॉल्वर छिपाए गांधीजी को प्रणाम किया और फिर एक के बाद एक तीन गोलियों से बापू के सीने को छल्ली कर दिया। गोली लगते ही गांधीजी नीचे गिर पड़े। उनके घाव से खून तेजी से बह रहा था। भगदड़ में उनका चश्मा और खड़ाऊ… न जाने कहां छिटक गए गांधीजी को जल्दी से कमरे में लाया गया लेकिन तब तक उनका निधन हो चुका था। अपने जीवनकाल में अपने विचारों और सिद्धांतों के कारण चर्चित रहे मोहन दास करमचंद गांधी का लोग बापू के नाम से भी जानते हैं और दुनियाभर में सम्मान से दिया जाता है।
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