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Manrega petition in SC: मनरेगा मजदूरों पर गंभीर संकट, राज्यों पर बढ़ रहा ऋण, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा

PUBLISHED BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : April 11, 2023, 1:52 pm IST
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Manrega petition in SC: मनरेगा मजदूरों पर गंभीर संकट, राज्यों पर बढ़ रहा ऋण, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा

Manrega petition in SC

Manrega petition in SC:  राजनीतिक दल ‘स्वराज अभियान’ ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर अपनी उस याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुजारिश की जिसमें केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि राज्यों के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।

  • कोर्ट ने माना गंभार संकट
  • राज्यों के पास पैसा की कमी
  • कर्ज का भुगतान 30 दिन करने का अनुरोध

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर गौर किया और कहा कि संबंधित पीठ के समक्ष याचिका का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया जा सकता है।

राज्यों का ऋण बढ़ रहा

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम आपको न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इसका उल्लेख करने की स्वतंत्रता देंगे।’’ स्वराज इंडिया ने अपनी ताजा याचिका में कहा कि वर्तमान में देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत काम करने वाले करोड़ों श्रमिकों के सामने गंभीर संकट है। उनकी बकाया मजदूरी बढ़ रही है और अधिकतर राज्यों में ऋण शेष भी बढ़ रहा है।

पैसे की कमी 

याचिका में कहा गया है कि 26 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार, राज्य सरकारें 9,682 करोड़ रुपये की कमी का सामना कर रही हैं और वर्ष के लिए आवंटित धन का 100 प्रतिशत वर्ष के समापन से पहले ही समाप्त हो गया है। मनरेगा मजदूरी भुगतान पर शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए स्वराज अभियान ने कहा, ‘‘धन की कमी का यह बहाना कानून का घोर उल्लंघन है।’’.

न्यूनतम धन प्रदान किया जाएं

याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं कि राज्यों के पास अगले महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के वास्ते पर्याप्त धन हो। जिस महीने की मांग पिछले साल में सबसे अधिक थी, उसे आधार महीने के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य सरकार को अग्रिम रूप से न्यूनतम धन प्रदान किया जाना चाहिए।

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सके

सुप्रीम कोर्ट से केंद्र और राज्यों को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 31 मई, 2013 को जारी निर्देश का पालन करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है कि श्रमिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से काम के लिए अपनी मांग दर्ज करने में सक्षम हों और इसके लिए दिनांकित पावती रसीद प्राप्त कर सकें।

30 दिनों के भीतर निपटान की मांग

याचिका में कहा गया कि केंद्र और राज्यों को ‘वार्षिक मास्टर परिपत्र’ के प्रावधानों का पालन करने और उन श्रमिकों को बेरोजगारी भत्ते का स्वचालित भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश भी जारी किया जाए, जिन्हें काम प्रदान नहीं किया गया है। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि आज की तारीख में लंबित सभी बकाया वेतन, सामग्री और प्रशासनिक भुगतान का अगले 30 दिनों के भीतर निपटान किया जाए।’’

तुरंत भुगतान की मांग

अधिकारियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वे मनरेगा में निर्धारित मजदूरी के भुगतान में देरी के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान सुनिश्चित करें और साथ ही बकाया मजदूरी के सभी लंबित भुगतानों को भी निपटाएं। तत्कालीन गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने 2015 में शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर ग्रामीण गरीबों और किसानों के लिए विभिन्न राहतों की मांग की थी और बाद में उस याचिका में अंतरिम आवेदन दिया था।

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