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इंडिया न्यूज, Chennai News: तमिलनाडु के कन्याकुमारी में हुई ऑनलाइन शादी का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस शादी के लिए खुद मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने मंजूरी दी थी। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह है जिस कारण वर वधु ने ऑनलाइन शादी का फैसला लिया है। अब सवाल ये उठता है कि भारतीय कानून में इसकी इजाजत है या नहीं। तो आइए जानते हैं ऑनलाइन शादी को लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी का क्या है मामला। इस मामले में देश का क्या कहता है कानून।
बता दें तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले की वासमी सुदर्शिनी को भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राहुल मधु से प्यार हो गया। वे दोनों शादी करना चाहते थे। शादी के लिए राहुल भारत आया। फिर दोनों ने पांच मई 2022 को कन्याकुमारी जिले के मनावलकुरिचि स्थित सब-रजिस्ट्रार के यहां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत एक जॉइंट एप्लीकेशन दिया।
फिर 12 मई को एक नोटिस पब्लिश हुआ। राहुल के पिता और एक अन्य व्यक्ति ने इस शादी को लेकर आपत्ति जताई थी। बताया जाता है कि मैरिज ऑफिसर मामले की जांच से इस नतीजे पर पहुंचा कि उनकी आपत्तियां ठीक नहीं थीं। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 30 दिन का अनिवार्य पीरियड 12 जून को पूरा हो गया। लड़का और लड़की 13 जून को मैरिज ऑफिसर के सामने हाजिर हुए। लेकिन कुछ कारणों से उस दिन शादी नहीं हो पाई। फिर वीजा जरूरतों के कारण तुरंत राहुल को अमेरिका लौटना पड़ा।
बताते हैं कि राहुल से ऑनलाइन शादी करने के लिए सुदर्शिनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। सुदर्शिनी ने कोर्ट से अपील में कहा कि वह अथॉरिटीज को स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 12 के तहत उनकी शादी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करवाने का आदेश दे।
इस मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने भारत में मौजूद सुदर्शिनी और अमेरिका में मौजूद राहुल को ऑनलाइन शादी करने की इजाजत दे दी। हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन 12 दोनों पक्षों को शादी के किसी भी स्वीकृत रूप को अपनाने का विकल्प देता है। इस मामले में दोनों पक्षों ने ऑनलाइन मीडियम चुना था। कोर्ट ने कहा कि दूल्हा ऑनलाइन उपस्थित रहेगा और स्पेशल मैरिज एक्ट में ऐसा करने पर रोक नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि शादी करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 12 (2) में कहा गया है कि शादी दोनों पक्षों द्वारा चुने गए किसी भी माध्यम से हो सकती है। सुदर्शिनी और राहुल के मामले में ये माध्यम ऑनलाइन था। कोर्ट ने कहा कि कानून को टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल मिलाकर चलना है, इसलिए कपल द्वारा चुना गया ऑनलाइन मोड से शादी का विकल्प कानूनी रूप से मान्य है।
अदालत ने अथॉरिटीज को याचिकाकर्ता सुदर्शिनी की शादी राहुल मधु के साथ ऑनलाइन मोड के जरिए तीन गवाहों की मौजूदगी में कराने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि शादी के बाद याचिकाकर्ता मैरिज सर्टिफिकेट बुक में अपनी और दूल्हे राहुल दोनों की जगह हस्ताक्षर कर सकती हैं। इसके बाद अथॉरिटीज को स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 के तहत मैरिज सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए।
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 देश में सिविल मैरिज है रजिस्टर्ड मैरिज के लिए बना कानून है। जोकि 1954 में लागू हुआ था। इस एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों के साथ किसी अन्य धर्म या जाति के व्यक्ति शादी की इजाजत है। यह एक दो अलग धर्म और दो अलग जातियों के लोगों को अपनी शादी को रजिस्टर्ड कराने और मान्यता देने के लिए बनाया गया है। इसमें की गई शादी एक सिविल कांटेक्ट है। इसलिए किसी धार्मिक आयोजन संस्कार यह समारोह करने या औपचारिकता के पालन की जरूरत नहीं है।
शादी करने वाले दोनों लोगों में से किसी की भी पहली शादी ना हुई हो। लड़के की उम्र 21 साल लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए। दोनों पक्ष शादी के लिए रजामंदी देने में मानसिक रूप से सक्षम हों यानी वे व्यस्क हों और अपने फैसले लेने में सक्षम हूं। दोनों पक्ष वर्जित संबंधों के दायरे में ना आते हों यानी दोनों के बीच खून का रिश्ता ना हो या गोद लेने का रिश्ता नहीं होना चाहिए।
देश में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत, वीडियो कॉल या ऑनलाइन शादी आम लोगों के लिए भी वैध है। यही बात सुदर्शिनी केस में मद्रास हाईकोर्ट ने भी कही है। लेकिन किसी के लिए भी ऑनलाइन शादी करने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट में बताई पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के सेक्शन 12 में शादियों की जगह और माध्यम यानी वे किस तरह से की जाएंगी इसके बारे में बताया गया है। जैसे- जानिए शादी मैरिज ऑफिसर के आॅफिस में, या वहां से उचित दूरी के अंदर ऐसे अन्य स्थान पर, जैसा कि दोनों पक्ष चाहें, या ऐसी शर्तों पर और अतिरिक्त फीस देकर की जा सकती है।
शादी किसी भी रूप में की जा सकती है जिसे दोनों पक्ष चुनना चाहें। लेकिन ये शादी तब तक पूरी और दोनों पक्षों पर लागू नहीं होगी जब तक-प्रत्येक पक्ष मैरिज ऑफिसर और तीन गवाहों की मौजूदगी में दूसरे पक्ष को समझ में आने वाली भाषा में, – “मैं, ……को अपनी वैध पत्नी (या पति) मानता हूं।” न कहे। आपको बता दें मद्रास हाई कोर्ट ने सुदर्शिनी और राहुल की ऑनलाइन शादी को मान्यता स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 12 (2) के इसी कानून के तहत दी है, जिसमें साफ कहा गया है कि लड़का और लड़की शादी के लिए जिस भी रूप को चाहें अपना सकते हैं।
दोनों पक्ष जिस क्षेत्र में पिछले 30 दिनों से निवास कर रहे हों, उस जिले के मैरिज रजिस्ट्रार को शादी के लिए एप्लीकेशन देना होता है। इस एक्ट के सेक्शन 6 और 7 के अनुसार, शादी के एप्लीकेशन के बाद उसका नोटिस पब्लिश होता है और नोटिस के 30 दिन बाद शादी हो सकती है।
बशर्ते इसे लेकर किसी ने आपत्ति न दर्ज कराई हो। जनवरी 2021 में दिए अपने एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कपल न चाहें तो शादी का पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे उनके मौलिक अधिकारों और निजता का उल्लंघन होता है। 30 दिन बाद शादी मैरिज रजिस्ट्रार के आॅफिस में मैरिज ऑफिसर और तीन गवाहों की मौजूदगी में हो सकती है।
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