इंडिया न्यूज़,नई दिल्ली।
Government of India: भारत ने अपनी हवाई सीमा को महफूज़ करने के लिए फ्रांस की रक्षा कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा तय किया था। गत वर्ष तीन राफेल की पहली खेप अंबाला में पहुंच गई थी। वहीं कुछ विमान इसके बाद भी भारत में आए थे। लेकिन कंपनी ने भारत से किए करार को पूरी निष्ठा से पूरा नहीं किया। ऐसे में भारत ने फ्रांसीसी कंपनी (Dassault) दसॉल्ट पर 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 7.8 अरब यूरो के सौदे में ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में बरती गई देरी पर जुर्माना लगा दिया है।
Rafale Deal: जानकारी के मुताबिक डिफॉल्ट आयुध की बड़ी कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए एक नीति बनायी गई है। इसी नीति के तहत भारत ने यह कार्रवाई की है। वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञों की माने तो उन्होंने कहा है कि मिसाइल निमार्ता एमबीडीए से जुमार्ना लगाया गया है, जो दसॉल्ट (Dassault) एविएशन द्वारा निर्मित राफेल जेट के लिए हथियार पैकेज आपूर्तिकर्ता है। भारत ने फं्रास से समझौता करते हुए कहा था कि वह हथियारों के लिए आपूर्ति प्रोटोकॉल के अलावा, दसॉल्ट के साथ एक बड़ा ऑफसेट अनुबंध और अपने सहयोगी एमबीडीए के साथ एक छोटा अनुबंध भी किया था। तय सौदे के मुताबिक अनुबंध मूल्य का 50% (लगभग 30,000 करोड़ रुपये) भारत को ऑफसेट या पुन: निवेश के रूप में वापस गिरवी रखना होगा।
Government of India: भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य की आलोचना की थी कि राफेल सौदे में ऑफसेट का अधिकतम निर्वहन – एमबीडीए द्वारा 57 प्रतिशन और दसॉल्ट द्वारा 58 फीसदी केवल 7वें वर्ष यानि 2023 के लिए निर्धारित है। किसी विशेष वर्ष में ऑफसेट के निर्वहन में 5% की कमी को दंड के रूप में लिया जा रहा है। बता दें कि एमबीडीए पर लगाया गया जुमार्ना वैसे तो 10 लाख यूरो से कम है। हालांकि एमबीडीए ने जुर्माने का भुगतान कर दिया है। लेकिन उसने रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के पास इसका विरोध दर्ज कराया है। सूत्रों ने कहा कि फिर भी इस मामले में जांच की जाएगी।
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