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डा. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ न्यूज। Rajya Sabha Elections-2022 : राज्यसभा चुनाव के चलते सबकी सांसे थमी हुई हैं। साल 2016 में चुनाव के दौरान पोलिंग के दौरान विधायकों द्वारा किए गए या करवाए गए स्याही कांड हर किसी के जहन में है। कांग्रेस (Congress) अपने विधायकों को एकजुट रखने की हर संभव कोशिश कर रही है। वहीं सबसे बड़ी चुनौती मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सामने ही है जो फिलहाल अंतर्कलह से जूझ रही है।
कांग्रेस के अंदर कमजोर कड़ियों की कमी नहीं है और इसी के चलते ये चुनाव निकालना बेहद कठिन मामला लग रहा है। यूं तो पार्टी द्वारा सीनियर लीडर को अपने ही विधायकों की क्रास वोटिंग या फिर वोट कैंसिलेशन (Cross Voting and Cancellation) रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
भाजपा (BJP) व कांग्रेस दोनों ने चुनावी पर्यवेक्षक तैनात किए हैं। लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस समर्पण की मुद्रा में है। राजनीतिक जानकारों व चुनावी एक्सपर्ट ने बताया कि कोई भी विधायक अपनी पार्टी के एजेंट या पर्यवेक्षक को अपनी वोट दिखाने के बाद भी इसे रद्द करवाने के लिए कई रास्ता अख्तियार कर सकते हैं।
इसी दिशा में चाहे तो मत पत्र से छेड़छाड़ कर सकता है। इसकी संभावनाओं को देखते हुए ही कांग्रेस रणनीति बनाने में जुटी है। पार्टी को डर है कि किसी भी हालत में पार्टी विधायकों के वोट रद्द या खराब नहीं हों।
वहीं ये भी सामने आया है कि रायपुर (Raipur) में 9 जून तक एक होटल में रुके रहे विधायकों पर कांग्रेस को विश्वास नहीं है। अंदरुनी जानकारी में सामने आया कि विधायकों से कसमें तक खिलवाई गई हैं कि वो पार्टी के कैंडिडेट अजय माकन के पक्ष में ही वोट डालेंगे।
मिली जानकारी अनुसार विधायकों से माकन (Ajay Maken) के लिए वोट डालने के वचन तक लिए गए। विधायक के रायपुर में ठहराव के दौरान निरंतर इस तरह की प्रक्रिया को दोहराया गया। इससे साफ है कि पार्टी में विधायकों के टूटने की पूरी संभावना है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को कांग्रेस हाईकमान की तरफ से पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। राजीव शुक्ला (Rajiv Shukla) को भी इस चुनाव में कार्यभार दिया गया है। दोनों ही कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और दोनों को राज्यसभा चुनाव में ये जिम्मेदारी दी जानी साफ दिखती है कि कांग्रेस के लिए राज्यसभा की सीट निकालना टेढ़ी खीर लग रहा है। पार्टी विधायकों द्वारा साफ तौर पर वोट कैंसिलेशन की आशंका मंडरा रही है।
चुनाव से पहले पार्टियों के पर्यवेक्षक मौजूद रहेंगे। सभी पार्टियों के विधायकों को अपने एजेंट या पर्यवेक्षक को वोटिंग (Voting) से पहले अपना-अपना वोट दिखाना होगा। लेकिन इसके बावजूद भी गड़बड़ी की पूरा संभावना है। अगर कांग्रेस के किसी कोई विधायक अपनी पार्टी के उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता देते हुए किसी दूसरे को भी ही पहली प्राथमिकता दे देगा तो उसका वोट रद्द श्रेणी में गिना जाएगा।
मत पत्र पर प्राथमिकता व हस्ताक्षर के अलावा कुछ भी लिखा तो वोट रद्द हो जाएगा। इसके अलावा ये भी बता दें कि मतपत्र के पीछे की तरफ निशान लगा, पैन चला या फिर कुछ लिखा मिला तो भी वोट को रद्द माना जाएगा।
वहीं ये भी बता दें कि अगर किसी विधायक ने अपना वोट पर्यवेक्षक को नहीं दिखाया तो भी इसको रद्द ही माना जाएगा। माना जा रहा है कि असंतुष्ट विधायकों उपरोक्त में कोई तरीका अख्तियार कर वोट रद्द करवा सकते हैं।
एक्सपर्ट्स ने बताया कि विधायकों को प्राथमिकता के आधार 1, 2 या 3 लिखना होगा। सभी विधायकों के लिए 1 लिखना आवश्यक होगा। विधायक को पर्यवेक्षक को दिखाने के दौरान अपनी अंगुली या अंगूठे से उक्त दूसरे उम्मीदवार के सामने लिखी प्राथमिकता को छिपाना होगा।
कोई भी विधायक आब्जर्वर को वोट दिखाते समय किसी तरह का निशान मतपत्र पर नहीं लगाएगा। इसके अलावा अपना वोट किसी पार्टी या पर्यवेक्षक को दिखाया तो भी वोट रद्द होगा।
नियम के मुताबिक मतदान केंद्र में दिए जाने वाले पैन से ही मत पत्र पर अपनी प्राथमिकता लिखनी होंगी। पैन बदलने पर वोट रद्द हो जाएगी। ये भी इतिहास में दर्ज है कि 2016 में पैन बदलकर ही स्याही कांड को अंजाम दिया गया था।
हर विधायकों के सामने मार्क करने के लिए तीन विकल्प होंगे, इनके सामने 1, 2 और 3 के आधार प्राथमिकता लिखनी होगी। लेकिन उसको द्वारा लिखी गई पहली यानी की 1 नंबर प्राथमिकता को माना जाएगा। अगर किसी विधायक ने दो बार नंबर एक लिखा तो वोट रद्द मानी जाएगी।
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