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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Standoff At LAC In Eastern Ladakh): पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की ओर से गतिरोध खत्म करने के चीन के आश्वासन पर भारत ने सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना ने फैसला किया है कि गतिरोध वाले इलाकों को अभी पूरी तरह से खाली नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत-चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध खत्म करने के लिए सहमत हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि गोगरा हॉट स्प्रिंग्स (गश्त पॉइंट 15) में सिर्फ कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर सैनिकों की वापसी हुई है।
सूत्रों ने यह भी बताया है कि एलएसी पर भारतीस सैनिक तब तक मौजूद रहेंगे जब तक वहां अप्रैल 2020 से पहले जैसे हालात नहीं हो जाते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा है कि एलएसी पर सैनिकों की तैनाती अथवा वापसी इस पर निर्भर होगी कि इस पर दूसरा पक्ष कितना अमल करता है। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 से पहले के दिनों में 8,000 से 10,000 सैनिकों तैनात होते थे। 2020 में गर्मी के महीने मई में भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद सैनिकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार एलएसी पर गतिरोध वाली जगहों से सैनिकों की पूरी वापसी में देरी होने की वजह वहां का पर्वतीय इलाका भी है। बता दें कि चीन सिर्फ दो दिन में अपने सैनिकों को वहां से वापस कर सकता है, लेकिन भारत को कम से कम दो या ज्यादा से ज्यादा सात सप्ताह का समय लग सकता है। उनका कहना है कि तिब्बती पठार के कारण चीन को अपने सैनिकों को लाने और ले जाने में किसी तरह की देरी नहीं होगी। वहीं, भारतीय सैनिकों को लेह से एलएसी की ओर जाने के लिए चांग ला, खारदुंग ला, अथवा तस्क ला जैसे उच्च दर्रों को पार करना पड़ता है। ऐसे में भारतीय सेना फिलहाल पूरी तरीके से अपने सैनिकों की वापसी की तैयारी में नहीं है।
इसका कारण यह भी है कि भारत चीन की हर संभावित चालबाजी से वाकिफ है। वह अक्सर किसी मामले में रजामंदी के बाद पलट भी जाता है। चीन ने एलएसी पर गतिरोध की घटना के बाद नए पुलों, नई सड़कों व भूमिगत मिसाइल शेल्टरों का निर्माण किया है। ड्रैगन ने अपने हवाई अड्डों का भी विस्तार किया है। उसकी ओर से एलएसी पर ज्यादा लड़ाकू जेट्स के अलावा हथियारों का पता लगाने वाले रडार व यहां तक कि एस 300 जैसे भारी वायु रक्षा प्रणालियों को तैनात किया है। गौरतलब है कि भारतीय सेना अपने रडार के जरिये चीन की तैनाती को सुगमता से देख पाती है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में 832 किमी की अनिर्धारित एलएसी के दोनों ओर पूरी तरह से सशस्त्र भारत और चीन के हजारों की संख्या में सैनिक तैनात हैं। दोनों देशों के सैनिकों के पास तोपखाने की बंदूकें, मिसाइलें, टैंक, लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर हैं। सूत्रों ने बताया है कि भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा जानबूझकर भारतीय गश्त मार्ग को अवरुद्ध करने पर आपत्ति जताता रहा है। अप्रैल 2020 से पहले भारतीय गश्त दल उस मार्ग पर जाते थे, जिसे चीन ने मौजूदा सीमा समझौतों में एक इलाके का चालाकी से उपयोग करके झड़पों के बाद अवरुद्ध कर दिया था। पीएलए के वाहन इन इलाकों में आते हैं और गश्त मार्ग को बाधित करते हैं।
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