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Story Of Taj Mahal : ताज महोत्सव पर जानें, ताजमहल की रोचक बातें

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 27, 2022, 4:48 pm IST
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Story Of Taj Mahal : ताज महोत्सव पर जानें, ताजमहल की रोचक बातें

Story Of Taj Mahal

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Story Of Taj Mahal: भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में स्थित ताजमहल में इस समय ‘ताज महोत्सव’ की धूम मची है। यह महोत्सव 20 मार्च से शुरू हुआ था और 29 मार्च तक चलेगा। इस महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए भारत समेत दुनियाभर से पर्यटकों की भीड़ जुटती है। तो चलिए जानते हैं इस खूबसूरत और प्यार की कहानी बयां करनी वाली ईमारत के बारे में।

29 मार्च तक चलेगा ताज महोत्सव

ताज महोत्सव की शुरुआत 1992 में की गई थी। यह 30वां महोत्सव है। बता दें आगरा में हर वर्ष होने वाला ताज महोत्सव यहां के सबसे बड़े वार्षिक महोत्सव में से एक है। यह महोत्सव हर साल फरवरी माह में आयोजित किया जाता है लेकिन इस बार चुनावों के कारण मार्च में हो रहा है। यह महोत्सव 20 मार्च से शुरू हुआ था और 29 मार्च तक चलेगा।इस बार महोत्सव की थीम है आजादी का अमृत महोत्सव संग ताज महोत्सव के रंग। इस महोत्सव का उद्देश्य देश की कला-संस्कृति को आगे बढ़ाना है।

22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल (Story Of Taj Mahal)

Story Of Taj Mahal

दुनियाभर में प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ताजमहल करीब चार सौ साल पुराना है। ताजमहल भारतीय शहर आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर एक हाथीदांत-सफेद संगमरमर का मकबरा है। ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और लगभग 1653 में (यानि कि 22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल) पूरा हुआ। कहते हैं कि ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम अजुर्मंद बानू (जिसे मुमताज महल के नाम से भी जाना जाता है) की मजार है। मुमताज के गुजर जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था। कहा जाता है कि मुमताज महल ने मरते समय मकबरा की ख्वाहिश जताई थी उसके बाद शाहजहां ने ताजमहल बनावाया।

बगदाद और तुर्की के कारीगरों ने बनाया (Story Of Taj Mahal)

Story Of Taj Mahal

  • ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनवाया गया है। इसके चार कोनों में चार मीनारे हैं। शाहजहां ने इस अद्भुत चीज को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे। माना जाता है कि ताजमहल बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था। ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है। सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर ‘ताजमहल’ आज ना केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं।
  • आपको बता दें कि ताजमहल का असली नाम “रौजा-ए-मुनव्वर” (जिसका मतलब जगमगाता हुआ मकबरा) है। इसका वर्णन 1636 पदशाहनामा की किताब में हैं। कहते हैं कि ये किताब अब्दुल हमीद लाहौरी ने लिखी थी जो कि एक घुमक्कड़ इतिहासकार थे।

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शाहजहां का शासन

शाहजहां का शासनकाल 1628 से लेकर 1658 ईस्वी तक रहा। उनके बादशाह बनने के तीन साल बाद मुमताज चल बसीं। शाहजहां की 3 पत्नियों (कानूनी) में मुमताज दूसरी थी। मुमताज ने 19 साल तक शाहजहां का साथ निभाया, लेकिन 14वें बच्चे के जन्म के समय वो अल्लाह को प्यारी हो गईं।

मुमताज ने लिए थे शाहजहां से वादे

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इतिहासकार कासिम-अली-अफरीदी के अनुसार मुमताज ने अपनी मृत्युशैय्या पर शाहजहां से दो वादा करने को कहा। पहला, वह अपनी दूसरी पत्नियों के साथ और बच्चे नहीं करेगा। दूसरा, वह उसकी याद में एक ऐसा मकबरा बनाएगा जो दुनिया में कहीं न हो। हालांकि, शाहजहां के समय के ज्यादातर फारसी इतिहासकार इसे नहीं स्वीकारते हैं।

1631 में चल बसी थी मुमताज  (Story Of Taj Mahal)

कहा जाता है कि शाहजहां अपनी पत्नी का उसकी जिंदगी और उसकी मौत के बाद भी दीवाना बना रहा। शाहजहां की मोहब्बत के बारे में यह भी कहा जाता है कि मुमताज के मरने के बाद से अपनी मौत तक वह पत्नी के प्रति वफादार बना रहा। यह पीरियड करीब 35 सालों का रहा। शाहजहां की मृत्यु साल 1666 में हुई, जबकि मुमताज साल 1631 में चल बसी।

ताजमहल के बारे में मुख्य बातें ( Key Kacts About Taj Mahal )

  • जब शाहजहां ने ताजमहल देखा: कहते हैं कि जब पहली बार शाहजहां ने ताजमहल का दीदार किया तब उसने कहा, यह सिर्फ प्यार की कहानी बयां नहीं करेगा बल्कि उन सबको दोषमुक्ति करेगा जो इस पापजन्मी पर रखने का दम करेंगे और चांद सितारे इसकी गबाही देंगे।
  • मुमताज के मकबरे की छत पर छेद: मुमताज के मकबरे की छत से टपकते पानी की बूंद के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। जिसमें से एक यह है की जब शाहजहां ने सभी मजदूरों के हाथ कटवाने की घोषणा की थी। ताकि वह कोई और ऐसी खूबसूरत ईमारत बना न सकें। तो मजदूरों ने ताजमहल को पूरा करने के बावजूद इसमें एक ऐसी कमी छोड़ दी जिससे शाहजहां का खूबसूरत सपना पूरा न हो सके।
  • पत्थरों पर कलाकृति: ताजमहल की कलाकृति में 28 तरह के कीमती पत्थरों को लगाया गया था जो चीन-तिब्बत से लेकर श्रीलंका से लाए गए थे। ब्रिटिश काल के समय इन बेश कीमती पत्थरों को अंग्रेजों ने निकाल दिया था। जिसके बारे मे यह कहा जाता था की यह बेश कीमती पत्थर किसी की भी आंखे चोंधयाने की काबिलियत रखते थे।
  • कुतुबमीनार से भी ऊंचा है ताजमहल: कुतुबमीनार को देश की सबसे ऊंची इमारत के तौर पर जाना जाता है। पर इसकी उंचाई भी ताजमहल के सामने छोटी पड़ जाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ताजमहल कुतुबमीनार से पांच फुट ज्यादा ऊंचा है।
  • बांस का सुरक्षा घेरा: दूसरे विश्व युद्ध 1971 के बाद इस इमारत की सुरक्षा के लिए ताजमहल की चारों और बांस का घेरा बनाकर उसे हरे रंग की चादर से ढक दिया था, जिससे ताजमहल दुश्मनों को नजर न आए और इसे सभी प्रकार की खतरों से बचाया जा सके।
  • ताजमहल के मीनार: ताजमहल के मीनारों पर ध्यान दिया जाये तो हम देखेंगे की चारों मीनार एक दूसरे की और झुके हुए नजर आते है।
  • जब ताजमहल बेच दिया ! बिहार के एक व्यक्ति नटवरलाल के बारे में यह कहानी प्रचलित है की एक बार उन्होंने ताजमहल को मंदिर बताकर लोगों को बेच दिया था। नटवरलाल के पैतृक गांव के लोग उनके इस कारनामे के लिए गांव में उनका मंदिर बनवा ने की मांग उठाने लगे हंै।
  • यमुना न होती तो ताजमहल न होता: ताजमहल का आधार एक ऐसी लकड़ी पर बना हुआ है जिसे मजबूत बनाये रखने के लिए नमी की जरुरत होती है, जिसे नजदीकी बहने वाली यमुना बनाई रखती है। Story Of Taj Mahal

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