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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Supreme Court Decision सुप्रीम कोर्ट ने कहा है पिता के साथ रिश्ता न रखने पर बेटी खर्च की हकदार नहीं हो सकती है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और संजय किशन कौल की पीठ ने आज विवाह टूटने से जोड़े को तलाक का फरमान सुनाते हुए यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा, यदि बेटी अपने पिता से किसी तरह का रिश्ता नहीं रखती है तो वह उनसे किसी भी तरह के खर्च की हकदार भी नहीं होगी। पीठ ने पति को सभी दावों के पूर्ण व अंतिम निपटान के तौर पर 10 लाख रुपए बतौर लागत जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। 10 लाख रुपए दो महीने में कोर्ट में जमा करवाने होंगे। ये रुपए अपीलकर्ता पत्नी को दिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि अगर जमा की तारीख से एक माह की अवधि के लिए राशि की मांग नहीं की जाती है, तो इसे 91 दिन के लिए एफडीआर अर्जित ब्याज में रखा जाएगा। उसके बाद इसे नवीनीकृत रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बेटी की शादी व शिक्षा के प्रश्न पर कहा कि उसके दृष्टिकोण से ऐसा लगता है कि वह अपीलकर्ता से किसी तरह का संबंध नहीं रखना चाहती।
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बेटी की उम्र लगभग 20 वर्ष है और वह अपना रास्ता चुनने की हकदार है, पर फिर अपीलकर्ता बेटी की शिक्षा के लिए रुपयों की मांग नहीं कर सकती। इस तरह हम मानते हैं कि बेटी किसी तरह की भी राशि की हकदार नहीं है, लेकिन प्रतिवादी को स्थायी गुजारा भत्ते के तौर पर दी जाने वाली राशि का निर्धारण किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर प्रतिवादी बेटी का समर्थन करने का इच्छुक है तो वह उसे गुजारा भत्ता दे सकता है। पीठ ने कहा, हम अब भी इस बात पर भी गौर कर रहे हैं।
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