इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
What Is CDS: भारत के सीडीएस रावत (CDS Bipin Rawat) के निधन से पूरा देश शोक में है। तमिलनाडु के कुन्नूर में आठ दिसंबर को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश (Mi-17V5 helicopter) में देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई। इस दुर्घटना में रावत की पत्नी मधुलिका रावत सहित सेना के 13 जवानों की मौत हो गई थी। दुर्घटना में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जीवित बचे हैं, जिनका इलाज चल रहा है।
अब सरकार चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद के लिए किसी योग्य उम्मीदवार की तलाश में है। जनरल रावत ने अपने एक साल 341 दिन के कार्यकाल में इस पद पर शानदार काम किया और ऐसे काम किए, जिसकी तारीफ की जाती रही है। आइए जानते हैं कि मुख्य तौर पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ का क्या काम होता है।
क्या होता है सीडीएस ? What Is CDS
देश का चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (CDS), इंडियन आर्म्ड फोर्सेज का मिलिट्री प्रमुख और इंडियन आर्म्ड फोर्सेज की चीफ आफ स्टाफ कमेटी का चेयरमैन होता है। चीफ आफ डिफेंस एक चार-स्टार जनरल होता है। सीडीएस रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाए गए नए विभाग डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स का प्रमुख होता है।
रक्षा मंत्रालय में पहले से ही चार विभाग थे। डिपार्टमेंट आफ डिफेंस, डिपार्टमेंट आफ डिफेंस प्रोडक्शन, डिपार्टमेंट आफ एक्स सर्विसमेन वेलफेयर और डीआरडीओ, अब पांचवें नए विभाग, डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स का प्रमुख चीफ आफ डिफेंस स्टाफ को बनाया गया है।
सीडीएस की नियुक्ति आर्म्ड फोर्सेज के बीच आवश्यक तालमेल लाने के लिए हुई है। इसका उद्देश्य सेना में जॉइंटमैनशिप को बढ़ाना है, जिससे संसाधनों की बबार्दी और निर्णय लेने में होने वाली देरी को रोका जा सके। बता दें दिसंबर 2019 में जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त हुए थे। मोदी सरकार ने इस पर मुहर लगाई थी। पहली बार ये विचार लार्ड माउंटबेटन की ओर से लाया गया था।
क्या होती है सीडीएस की भूमिका What Is The Role Of CDS
What Is CDS: चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में काम करता है। सीडीएस भले ही तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय को सलाह देता है, लेकिन अब भी तीनों सेनाओं-आर्मी, नेवी और एयरफोर्स-के प्रमुख ही उनकी संबंधित सेवाओं से जुड़े मामलों में सलाह देते हैं।
CDS Bipin Rawat funeral Updates LIVE
मतलब, सीडीएस तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर काम करता है, लेकिन वह तीनों में से किसी सेना का प्रमुख नहीं होता है। बल्कि इसके लिए इन तीनों सेनाओं के प्रमुख ही अपनी-अपनी सेना की कमान संभालते हैं।
भारत एक न्यूक्लियर वेपन से संपन्न देश है। ऐसे में सीडीएस न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के लिए सैन्य सलाहकार के तौर पर भी काम करता है। इस कमांड का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। भारत ने 2008 में सेना, अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए अपने एयरोस्पेस कमांड (द इंटीग्रेटेड स्पेस सेल) का गठन किया था। सीडीएस के पास इस साइबर वारफेयर डिविजन का भी चार्ज है।
सीडीएस का काम अनुमानित बजट के आधार पर तीनों सेवाओं की लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ कैपिटल एक्विजिशन की जरूरतों को सुव्यवस्थित करने में मदद करना है। पहले के चीफ आफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी), (जोकि तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे सीनियर बनता था) के उलट सीडीएस के पास शासनात्मक शक्तियां हैं।
सीडीएस और तीनों सेना प्रमुखों की भूमिकाओं में अंतर ? Difference Between The Roles Of The CDS And The Three Service Chiefs
- अक्सर लोगों को यह गलतफहमी हो जाती है कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ ही तीनों सेनाओं का भी प्रमुख होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इन दोनों की भूमिकाओं में अंतर होता है। सीडीएस किसी भी तरह का आपरेशनल या मिलिट्री कमांड नहीं दे सकता। यानी वह तीनों सेनाओं के प्रमुखों के ऊपर कोई भी सैन्य आदेश जारी नहीं कर सकता है।
- सीडीएस का काम सैन्य आदेश जारी करने के बजाय तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में सरकार को निष्पक्ष सलाह देना है।
- आर्मी, नेवी या एयरफोर्स को सैन्य कमांड देने का काम कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी (सीसीएस) की सलाह पर उनके प्रमुख ही करते हैं, न कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ। डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स का नेतृत्व करने के अलावा, सीडीएस चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी चेयरमैन का भी पद संभालता है।
- अब तक, सीओएससी की अध्यक्षता सबसे सीनियर सर्विस चीफ की ओर से छोटी अवधि के लिए रोटेशन में की जाती थी लेकिन यह व्यवस्था असंतोषजनक पाई गई थी।
- तीनों सेनाओं के प्रमुखों की तरह ही चीफ आफ डिफेंस स्टाफ भी एक चार स्टार जनरल होता है। सीएसडी के पद पर चार स्टार जनरलों में से सबसे सीनियर अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की सैलरी, भत्ते और योग्यताएं भी तीनों सेना प्रमुखों के बराबर ही होते हैं।
क्यों पड़ी सीडीएस की जरूरत ? Why CDS Was Needed
- सबसे पहले 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की कमी देश को खली थी। उस समय अगर आर्मी और एयरफोर्स ने समन्वित हमला किया होता तो इस युद्ध का फैसला कुछ और हो सकता था। उस समय चीनी सेनाओं के पास एयर सपोर्ट नहीं था।
- सेना के तीनों अंगों के बीच कोआर्डिनेशन की कमी 1987-89 के दौरान भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) की ओर से श्रीलंका में एलटीटीई के खिलाफ चलाए गए आॅपरेशन के दौरान भी देखी गई। उस आपरेशन में नेवी और एयर फोर्स के कमांडर्स ओवरआल फोर्स कमांडर के अंडर में थे, लेकिन कहा जाता है कि ओएफसी संपर्क अधिकारी से ज्यादा कुछ नहीं थे।
- चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की सबसे अधिक जरूरत 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान महसूस की गई थी, जिसमें आर्मी के एयर सपोर्ट के निवेदन को शुरूआत में सुरक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) ने अस्वीकार कर दिया था, जिससे आर्मी को एयर फोर्स के हवाई हमले की मदद मिलने में कई हफ्तों की देरी हो गई थी।
- ये घटनाएं 1947-48 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्धों के उदाहरणों से अलग हैं, जिनमें सेनाओं के जॉइंट आपरेशन ने भारत को जीत दिलाई थी।
सीडीएस का गठन Formation Of CDS
- 1999 में कारगिल युद्ध के तुरंत बाद इस बात की समीक्षा के लिए कृष्णास्वामी सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व में कारगिल रिव्यू कमेटी (केआरएस) का गठन किया गया था कि वे कौन सी कमियां थीं जिनकी वजह से पाकिस्तानी सेना को रणनीतिक महत्व वाली जगहों पर कब्जा करने का मौका मिला।
- कारगिल रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट फरवरी 2020 में संसद में पेश की गई थी। इसमें कारगिल युद्ध के दौरान शुरूआत में सुस्त भारतीय प्रतिक्रिया, और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों का सुझाव दिया था।
- इस कमेटी की सिफारिशों के बाद 2001 में गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की सिफारिश की थी। लेकिन चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति अगले दो दशक तक अलग-अलग वजहों से नहीं हो सकी।
- आखिरकार 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाए जाने की घोषणा की।
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