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दुनिया के इस देश में है सबसे बड़ी ‘मच्छर फैक्ट्री’, होता है ये हैरतअंगैज काम

World's Largest Mosquito Factory: दुनिया में एक ऐसा देश है जहां भारी मात्रा में मच्छर पैदा किए जाते है, इसे मच्छर की फैक्ट्री भी कहा जाता है, लेकिन इस चीज को इतनी भारी मात्रा में पैदा क्यों किया जाता है, जानिए.

Written By: shristi S
Last Updated: October 22, 2025 16:22:01 IST

Brazil Mosquito Factory: दुनिया में हर साल लाखों लोग डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों का शिकार होते हैं. मच्छरों के कारण फैलने वाली ये बीमारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. अब इस चुनौती से निपटने के लिए विज्ञान ने एक अनोखा रास्ता निकाला है मच्छरों से ही मच्छरों से लड़ाई. जी हां, ब्राजील में दुनिया की सबसे बड़ी “मच्छर फैक्ट्री” (Mosquito Factory) बनाई गई है, जहां ऐसे मच्छर तैयार किए जाते हैं जो डेंगू वायरस को फैलने से रोकते हैं.

मच्छरों से बीमारी नहीं होता है ये खास काम

यह फैक्ट्री ब्राजील के साओ पाओलो राज्य के कैंपिनास शहर में स्थित है. यहां हर हफ्ते करीब 1.9 करोड़ एडीज एजिप्टी मच्छर तैयार किए जाते हैं. यही वही मच्छर हैं जो आम तौर पर डेंगू, ज़ीका और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलाते हैं. फर्क बस इतना है कि इन मच्छरों में वोलबाचिया नाम का एक खास बैक्टीरिया डाला गया है. यह बैक्टीरिया इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि मच्छर के शरीर में जाकर वायरस को पनपने से रोक देता है. जब ये मच्छर किसी इंसान को काटते हैं, तो डेंगू का वायरस शरीर में नहीं जाता. यही वजह है कि धीरे-धीरे इन “सुरक्षित मच्छरों” की आबादी बढ़ने पर डेंगू फैलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है.

नियंत्रित माहौल में मच्छरों की तैयारी

फैक्ट्री के अंदर सब कुछ बहुत वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है. मच्छरों को पालने के लिए बड़ी-बड़ी ट्रे में पानी भरा जाता है, जहां अंडे दिए जाते हैं. इन अंडों से लार्वा निकलते हैं और कुछ ही समय में वे मच्छर बन जाते हैं. मादा मच्छरों को नकली खून और नर मच्छरों को मीठा घोल दिया जाता है ताकि उनका पालन-पोषण आसानी से हो सके. मच्छरों को विशेष पिंजरों में चार हफ्तों तक रखा जाता है। इसी दौरान वे प्रजनन करते हैं और अगली पीढ़ी के मच्छर भी वोलबाचिया बैक्टीरिया के साथ तैयार हो जाते हैं. तापमान, नमी और रोशनी को पूरी तरह नियंत्रित रखा जाता है ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो. अंडों और मच्छरों की लिंग पहचान के लिए स्वचालित मशीनों का इस्तेमाल होता है, जिससे उत्पादन तेज़ और सटीक होता है.

स्वास्थ्य अभियान बन चुका है यह प्रोजेक्ट

ब्राजील सरकार ने इस तकनीक को एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान के रूप में अपनाया है. जिन इलाकों में इन मच्छरों को छोड़ा गया, वहां डेंगू के मामलों में तेजी से कमी दर्ज की गई है. वैज्ञानिकों के अनुसार, वोलबाचिया बैक्टीरिया वाले मच्छर न तो इंसानों को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही पर्यावरण को. इस तकनीक ने इतने अच्छे नतीजे दिए हैं कि अब भारत, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसी मॉडल पर प्रयोग शुरू हो चुके हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तरीका डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से लड़ने का भविष्य साबित हो सकता है.

डेंगू से निपटने में दवाइयों और बचाव के उपायों के साथ यह तकनीक एक नया मोड़ ला सकती है. अगर इसे बड़े पैमाने पर अपनाया गया, तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब डेंगू जैसी बीमारियों का नाम केवल इतिहास की किताबों में रह जाएगा.  ब्राजील की यह फैक्ट्री दिखाती है कि सही तकनीक और वैज्ञानिक सोच से इंसान किसी भी चुनौती से जीत सकता है चाहे वो मच्छर ही क्यों न हों.

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