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इंसान नहीं फिर दुनिया में सबसे पहले किसने पी शराब? इतिहास जान ठिकाने पर नहीं रहेगा दिमाग

Chimpanzee Alcohol: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे पहले शराब किसने पी है? आज हम आपको बताएंगे कि वानरों से ही इंसानों में शराब हजम करने की आदत आई है.

Written By: Heena Khan
Last Updated: 2025-09-19 11:52:29

Who drank alcohol first in the world: क्या आप जानते हैं कि चिंपैंजी भी शराब पीते हैं. जी हैं काफी हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि चिंपैंजी भी हर दिन एक ड्रिंक अल्कोहल लेते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चिंपैंजी जैसे वन्यजीव इस अल्कोहल को पके और किण्वित फलों से प्राप्त करते हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि ये रिसर्च अफ्रीकी जंगलों से सामने आई है.  जहाँ चिंपैंजी भारी मात्रा में पाए जाते हैं. परिणाम इस सिद्धांत का समर्थन करते हैं कि मनुष्यों ने अल्कोहल का स्वाद अपने पूर्वजों, वानरों से सीखा. न केवल स्वाद, बल्कि विषाक्तता के बावजूद, इसे पचाने की क्षमता भी इन जीवों के माध्यम से मनुष्यों में आई होगी.

बंदरों से आई इंसानों में शराब पीने की आदत 

शोधकर्ताओं  का कहना है कि उन्होंने चिंपैंजी द्वारा खाए जाने वाले फलों को इखट्टा किया और उसमे अल्कोहल की मात्रा को मापा. इन फलों में मौजूद शर्करा के किण्वन से अल्कोहल बनता है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि मानव पूर्वज और उनके शुरुआती रिश्तेदार प्रतिदिन अल्कोहल का सेवन करते थे. यह कोई छोटी मात्रा नहीं है. चिंपैंजी द्वारा खाए जाने वाले फलों की बड़ी मात्रा के आधार पर, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वो  हर रोज 14 ग्राम अल्कोहल लेते हैं.उनके शरीर के आकार के आधार पर, अनुमान है कि चिम्पांजी प्रतिदिन लगभग एक पाइंट बीयर पीते हैं. साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एलेक्स मारो ने कहा है कि यह अल्कोहल की कोई मामूली मात्रा नहीं है, बल्कि यह बहुत हल्की होती है और ज़्यादातर खान पान से जुड़ी होती है. 

शराबी बंदर का सिद्धांत 

दिलचस्प बात ये है कि वहां पर मारो ने यह भी कहा बताया कि पहली बार, हमने अपने सबसे करीबी जीवित रिश्तेदारों को शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण मात्रा में शराब का सेवन करते देखा है.  लगभग एक दशक पहले, अमेरिकी जीवविज्ञानी रॉबर्ट डुडले ने “शराबी बंदर” सिद्धांत का प्रस्ताव रखा था. नई रिपोर्ट इस सिद्धांत का समर्थन करती है. रॉबर्ट डुडले इस नई शोध रिपोर्ट के सह-लेखक भी हैं. इस सिद्धांत के मुताबिक, मनुष्यों ने शराब के प्रति अपनी रुचि और उसे पचाने की क्षमता अपने वानर पूर्वजों से ही सीखी है, जो प्रतिदिन फल खाते थे, जिससे शराब उनके शरीर में प्रवेश कर जाती थी. 

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