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पैसा, शोहरत सब था…फिर 100 दिनों में मुंबई की चकाचौंध छोड़ क्यों दिल्ली लौट आया युवक, वजह जान उड़ जाएंगे होश!

Mumbai life experience: देशव ने कहा कि मुंबई लौटने का उनका फैसला दोस्तों, भाषा या शहर से नहीं, बल्कि उनके करियर और मानसिक शांति से जुड़ा था. उन्होंने कहा, "विकास का मतलब हमेशा असुविधा नहीं होता. कभी-कभी, एक आरामदायक और जाना-पहचाना माहौल ही वह आधार होता है जिस पर आप एक मजबूत भविष्य बना सकते हैं."

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 23, 2025 21:27:37 IST

Mumbai life experience​: दिल्ली के रहने वाले देशव कुमार ने सोशल मीडिया पर मुंबई में सिर्फ 100 दिन बिताने के बाद दिल्ली लौटने के अपने कारण बताए. उनके इस पोस्ट ने दिल्ली और मुंबई के बीच पुरानी, ​​हल्की-फुल्की प्रतिद्वंद्विता को फिर से बढ़ा दिया. देश ने लिखा कि नया शहर और नए अनुभव रोमांचक लगते हैं, लेकिन मुंबई में रहने से उन्हें एहसास हुआ कि हर चीज के लिए लगातार संघर्ष करना और छोटी-छोटी बातों में ढलने की कोशिश करना मानसिक रूप से थका देने वाला था.

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मुंबई के अनुभव और शुरुआती आकर्षण

अपने लिंक्डइन पोस्ट में, देशव कुमार ने बताया कि उन्हें नए शहर में बसने का विचार काफी रोमांचक लगा. मुंबई में सभी सुविधाएं थीं, लेकिन काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल था. तेज रफ्तार जीवन और अलग माहौल ने उन्हें शुरू में तो उत्साहित किया, लेकिन कुछ हफ्तों में ही उन्हें एहसास हुआ कि हर चीज में ढलने और छोटी-छोटी मुश्किलों से जूझने से उनका मानसिक तनाव बढ़ रहा था. इसलिए उन्होंने दिल्ली लौटने का फैसला किया.

वापसी का मुख्य कारण

देशव ने कहा कि मुंबई लौटने का उनका फैसला दोस्तों, भाषा या शहर से नहीं, बल्कि उनके करियर और मानसिक शांति से जुड़ा था. उन्होंने कहा, “विकास का मतलब हमेशा असुविधा नहीं होता. कभी-कभी, एक आरामदायक और जाना-पहचाना माहौल ही वह आधार होता है जिस पर आप एक मजबूत भविष्य बना सकते हैं.” देश ने आगे कहा कि दिल्ली में उन्हें अपने काम और निजी जीवन दोनों में बेहतर फोकस और स्थिरता मिलती है.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं और मैसेज

देशव के पोस्ट के बाद, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इसी तरह की बातें कही. उन्होंने लिखा कि अंदरूनी शांति पाना और अपने लिए सही माहौल चुनना सबसे ज़रूरी है. देशव का अनुभव बताता है कि कभी-कभी, एक आरामदायक जगह में मजबूत जड़ें ही असली विकास की कुंजी होती है. मुंबई का ग्लैमर और चमक-धमक शानदार है, लेकिन निजी और प्रोफेशनल संतुलन के लिए, दिल्ली का माहौल उनके लिए बेहतर साबित हुआ.

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