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खौलता पानी और अंतरिक्ष की ठंड भी मात नहीं दे पाती इस शक्तिशाली जीव को, जानें क्या हैं इसके अस्तित्व का रहस्य?

Tardigrade Facts: आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे जीव की जो धरती और अंतरिक्ष दोनों ही जगह जिंदा रहा सकता है.

Written By: shristi S
Last Updated: November 10, 2025 11:50:38 IST

Water Bear Creature: धरती पर मौजूद लाखों जीव-जंतुओं में से कुछ ऐसे भी हैं जिनकी क्षमताओं को जानकर विज्ञान भी दंग रह गया है. ऐसे ही एक रहस्यमयी जीव का नाम है टार्डिग्रेड (Tardigrade), जिसे लोग ‘वॉटर बीयर’ के नाम से भी जानते हैं. यह सूक्ष्म आकार का जीव इंसानों की नज़रों से भले ही दिखाई न दे, लेकिन इसकी ताकत किसी सुपरहीरो से कम नहीं.

अंतरिक्ष में भी जिंदा रह गया यह जीव

साल 2007 में वैज्ञानिकों ने एक अनोखा प्रयोग किया. उन्होंने हजारों टार्डिग्रेड्स को एक सैटेलाइट में डालकर अंतरिक्ष में भेज दिया. वहां अत्यधिक ठंड, वैक्यूम और रेडिएशन जैसे जानलेवा माहौल में कोई भी जीव कुछ सेकंड में मर सकता था. लेकिन जब स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी पर लौटा, तो नज़ारा चौंकाने वाला था टार्डिग्रेड्स न सिर्फ जिंदा थे बल्कि उनमें से कुछ ने अंडे भी दिए थे.

खौलते पानी से लेकर बर्फ तक में जीवित

आम इंसान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में परेशान हो जाता है, लेकिन टार्डिग्रेड्स के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं. यह जीव 300 डिग्री फारेनहाइट तक का तापमान सहन कर सकता है. इतना ही नहीं, ये मरियाना ट्रेंच जैसी गहराइयों में पाए जाने वाले दबाव को भी झेल सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह धरती के सबसे मजबूत जीवों में से एक है, जो ज्वालामुखी, बर्फ और अंतरिक्ष  हर जगह जीवित रह सकता है.

सूखे में भी नहीं मरता ‘वॉटर बीयर’

टार्डिग्रेड्स आमतौर पर ऐसी जगहों पर पाए जाते हैं जहां कभी पानी रहा हो, लेकिन बाद में सूख गया हो. इन जीवों ने समय के साथ खुद को इस तरह विकसित कर लिया है कि जब पानी नहीं होता, तो ये अपनी कोशिकाओं में एक विशेष पदार्थ बना लेते हैं जो पानी की जगह ले लेता है. इस अवस्था में वे कई वर्षों तक निष्क्रिय रह सकते हैं, और जैसे ही पानी मिलता है, फिर से जीवित होकर सक्रिय हो जाते हैं.

क्या हैं इनके अस्तित्व का रहस्य?

वैज्ञानिकों ने पाया कि इन जीवों में ‘पैरामैक्रोबियोटस’ नाम का विशेष जीन होता है. यह जीन एक सुरक्षात्मक फ्लोरोसेंट ढाल तैयार करता है जो अल्ट्रा-वॉयलेट (UV) विकिरण से इनकी रक्षा करती है. सामान्य जीव जहां UV किरणों के बीच 15 मिनट में मर जाते हैं, वहीं टार्डिग्रेड्स घंटों तक सुरक्षित रह सकते हैं. यह जीन हानिकारक किरणों को अवशोषित कर उन्हें नीली रोशनी के रूप में बाहर निकाल देता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर टार्डिग्रेड्स के इस जीन को अन्य जीवों में ट्रांसफर किया जाए, तो संभव है कि वे भी विकिरण और कठिन परिस्थितियों में जिंदा रह सकें. यह खोज भविष्य में स्पेस मिशन और मानव सुरक्षा तकनीक के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है.

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