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UP के इस मंदिर में होती है कुत्ते की पूजा, यहां के जादुई तालाब का रहस्य जान रह जाएंगे हैरान

UP News: UP के इस मंदिर में लोग दूर-दूर से कुत्ते की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाने आते हैं। कहा जाता है कि लाखा बंजारे नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने कुत्ते की मौत के बाद उसे यहीं दफनाया था।

Written By: Heena Khan
Last Updated: September 19, 2025 09:10:24 IST

UP Worship Dog: दुनियाभर में अलग-अलग जाति और धर्म के लोग रहते हैं. हर तरफ हजारों ऐसी जातियां है जो किसी न किसी को अपना देवता मानती हैं. वहीं भारत में तो सूर्य से लेकर पेड़ों तक को देवता के रूप में देखा जाता है. आज हम आपको यूपी के ही एक ऐसे ही मामले की जानकारी देने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के चिपियाना बुजुर्ग गांव में भैरव बाबा मंदिर के प्रांगण में कुत्ते की मूर्ति लंबे समय से लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है. मान्यता है कि कुत्ते के काटने पर अगर मंदिर प्रांगण के पास बने तालाब में स्नान किया जाए तो कुत्ते के काटने का असर वहां कम हो जाता है. बताया जा रहा है कि इस मंदिर की मान्यता इतनी है कि लोग दूर-दूर से कुत्ते की मूर्ति की पूजा करने आते हैं और प्रसाद भी चढ़ाते हैं. वहीं कहा जा रहा है कि इलाके के रहने वाले लाखा बंजारे नाम के एक व्यक्ति ने अपने कुत्ते की मौत के बाद उसे यहीं दफनाया था. बाद में गांव वालों ने कुत्ते की कब्र पर एक मंदिर का निर्माण करवा दिया, जिसे आज देवता के रूप में देखा जाता है. 

जादुई तालाब की कहानी 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चिपियाना गांव में भैरव मंदिर के पास मौजूद इस कुत्ते की समाधि की कहानी काफी हैरान कर देगी. वहीं कुत्ते की समाधि के पास एक तालाब बनाया गया है. कहा जाता है कि तालाब में नहाने से कुत्ते के काटने का असर खत्म हो जाता है. इतना ही नहीं हर शनिवार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ आती है. आज भी मान्यता है कि कुत्ते के काटने के बाद मंदिर परिसर के पास स्थित तालाब में नहाने से रेबीज का असर कम हो जाता है. दिलचस्प बात ये है कि मंदिर के बाहर एक कुंड भी बनाया गया है. जो लोग तालाब में नहीं नहाते, वो कुंड में जाकर नहा लेते हैं. 

जानिए इसके पीछे का रहस्य 

ऐसे ही वहां के लोग कुत्ते की पूजा नहीं करते बल्कि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. ग्रामीणों का कहना है कि लगभग 150 साल पहले, लाखा नाम के एक खानाबदोश ने अपने कुत्ते के लिए एक मकबरा बनवाया था. कहानी के पीछे की कहानी यह है कि खानाबदोश के पास एक कुत्ता था. उसने एक व्यापारी से कुछ पैसे उधार लिए थे. समय पर कर्ज न चुका पाने पर, उसने अपना कुत्ता व्यापारी के पास गिरवी रख दिया. कुछ दिनों बाद, व्यापारी के घर चोरी हो गई. इस दौरान, कुत्ते ने न तो लुटेरों पर भौंका और न ही अपने मालिक को जगाया. सुबह जब व्यापारी को चोरी का पता चला, तो वो कुत्ते पर भड़क उठा. कुछ ही देर बाद, कुत्ते ने अपने मालिक की धोती पकड़ ली और उसे उस जगह ले गया जहां लुटेरों ने चोरी का सामान छिपा रखा था. 

चोरी का सामान पाकर व्यापारी बहुत खुश हुआ. उसने इनाम के तौर पर कुत्ते को आज़ाद किया और लाखा को लौटा दिया. गाँव वालों का कहना है कि जैसे ही कुत्ता लाखा के पास पहुँचा, खानाबदोश को लगा कि कुत्ते ने व्यापारी से किया वादा तोड़ दिया है. गुस्से में आकर उसने कुत्ते को गोली मार दी. जब उसे सच्चाई पता चली, तो उसे बहुत पछतावा हुआ. पश्चाताप के प्रतीक के रूप में उन्होंने भैरव बाबा मंदिर में कुत्ते के लिए समाधि बनवाई.

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