Premanand Maharaj: क्या गुरु को भगवान मानना पाप है? सुनिए प्रेमानंद महाराज का जवाब
Premanand Maharaj: आजकल अक्सर लोग अपने गुरू को अपना भगवान मानते हैं.क्या यह गलत है? जाने इस विषय पर प्रेमानंद महाराज का विचार..
प्रेमानंद महाराज
वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद महाराज एक निजी बातचीत के दौरान भक्तों के सवालों के जवाब देते हैं. इनमें से कुछ सवाल ऐसे हैं जो कहीं न कहीं हर किसी के मन में होते हैं.
भक्त ने पूछा यह सवाल
हाल ही में एक प्रवचन के दौरान एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि गुरुजी, मैं अपने गुरुजी को भगवान मानता हूं. क्या गुरु में भगवान को देखने से भगवान नाराज नहीं होंगे? प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का बहुत ही सुंदर जवाब दिया.
क्या भगवान नाराज होते हैं?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान ही गुरु हैं. भगवान कोई और नहीं हैं. बंदाऊं गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि. हरि ने मेरे लिए मनुष्य रूप लिया है. वह मेरे लिए एक व्यक्तिगत अवतार हैं. मेरे लिए गुरुदेव ने भगवान का रूप लिया और भगवान ने गुरुदेव का रूप लिया. जब हमने गुरुदेव की शरण ली, तो हमने असल में परम ब्रह्म को देखा.
गुरु ही परमेश्वर होता है
वैसे भी कहा जाता है कि जो गुरु हैं, वे तीनों गुणों से परे हैं. वे ही परमेश्वर हैं. इसलिए हमारे लिए सबसे अच्छी भावना यह है कि हम गुरुदेव भगवान में भगवान को समझें. जो लोग अपने गुरु की पूजा उन्हें साक्षात भगवान मानकर करते हैं, उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है. भगवान थोड़ा भी नाराज़ नहीं होते.
भगवान किसके अधीन होते हैं?
जो अपने गुरु का सम्मान उनसे भी ज्यादा करते हैं भगवान उनके अधीन हो जाते हैं. इसलिए, गुरु के रूप में भगवान को पहचानना बहुत मुश्किल है क्योंकि गुरु भी हमारी तरह ही इंसान का शरीर धारण करते हैं.