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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : बिहार के राजनीतिक गलियारों और चौक -चौराहे पर इन दिनों एक चर्चा जोरों पर हैं। चर्चा इस बात की है राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड का विलय होने वाले है। माना जा रहा है कि गठबंधन के रूप में बिहार में राज करने वाली दोनों पार्टियों का विलय होने वाला है। खबर ये भी है बिहार की अब कमान तेजस्वी यादव के हाथ में होगी और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे संभावना जताई जा रही है कि 2023 में दोनों पार्टियों के विलय की घोषणा होगी, हालाँकि सीनियर लीडरशिप विलय के मुद्दे पर चुप्पी साढ़े हुए है।
आपको बता दे, यूँ तो बिहार की सियासी तस्वीर पिछले नौ सालों में मौसम से भी ज्यादा बदली है। जो दल साथ चुनाव लड़ते हैं, सरकार बनने के बाद एक साथ टिक नहीं पाते स्वार्थनुसार अपना पाला बदल लेते हैं। जिनके खिलाफ चुनाव लड़ते हैं, सरकार बनने पर उनके ही साथ आ जाते हैं। लेकिन इस बार ऐसा होने जा रहा है कि बिहार की राजनीति में पार्टियों के नाम और निशान बदल जाएंगे। दोनों पार्टियों के सोर्स बता रहे हैं कि राजद और जदयू दोनों ही इस नए बदलाव के लिए तैयार हैं। दोनों दलों की तरफ से इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सूत्रों की माने तो कुछ बिंदुओं पर अभी सहमति बननी बाकी है। इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में दोनों दल एक हो सकते हैं।
ज्ञात हो, जदयू और राजद के विलय की चर्चा इनदिनों जोरो पर है। खबर है कि JDU और RJD का विलय 2023 में होगा। नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे जिसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री पद पर तेजस्वी यादव की ताजपोशी होगी। आपको बता दें, विलय की पूरी तैयारी है। पूरी स्ट्रेटजी पहले ही बन चुकी है। जिसके तहत 2023 में जदयू और राजद के विलय का प्रारूप तैयार है।
आपको बता दें, दोनों पार्टियों के विलय की चर्चा उस समय शुरू हो गई जब दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजस नेता भोला प्रसाद राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर रहे थे। आरजेडी नेता भोला यादव ने यह प्रस्ताव रखा कि आरजेडी के निशान, झंडा और तमाम चीजों में बदलाव होगा तो वो तेजस्वी यादव या लालू यादव करेंगे। जानकारी हो , जो पार्टी स्थायी तौर पर रहती हैं, उनके राजनीतिक प्रस्ताव में इस बात की चर्चा नहीं होती है। लेकिन, यह यह चर्चा राजनीतिक प्रस्ताव में हुई तो इस बात को बल मिला कि जेडीयू और आरजेडी एक साथ जाएंगे।
राजद और जदयू की और से तैयारी है कि विलय के साथ ही दोनों दल के नाम और निशान समाप्त कर दिए जाएं। एक नया दल बने, जिसमें सभी नेता शामिल हो जाएं। इससे अन्य कई नेताओं को भी सहूलियत होगी, जिन्हें अभी के राजद या जदयू से परहेज है। नए नाम और निशान के साथ नई पार्टी का फेस अधिक मजबूत साबित हो सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि पुराने जनता दल का एक बार फिर उदय हो जाएगा। जनता दल टूट कर ही राजद और जदयू बना था। अब एक बार फिर दोनों दल आपस में मिलेंगे तो जनता दल जैसी ही तस्वीर बनेगी।
आपको बता दें, नाम और निशान में बदलाव के लिए राजद ने पहले कदम बढ़ा दिया है। दिल्ली में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सम्मेलन में इस कदम पर आधिकारिक मुहर भी लग चुकी है। सम्मेलन में राजद सुप्रीमो के हनुमान कहे जाने वाले भोला यादव ने राजद के संविधान संशोधन का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव के अनुसार राजद के नाम या इसके चुनाव चिह्न लालटेन से संबंधित मामले में अंतिम निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद या तेजस्वी यादव का ही होगा। ऐसे में राजद के कदम बढ़ाने के बाद अब जदयू को फैसला लेना है।
सूत्रों की माने तो नई पार्टी का स्ट्रक्चर काफी संतुलित बनाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नीतीश कुमार को आगे किया जाएगा। वही बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव आगे रहेंगे। मुख्यमंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर विपक्ष के नेता के तौर पर उभारने की पूरी कोशिश की जाएगी। नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी के बराबर तैयार किया जाएगा।
ज्ञात हो, नीतीश कुमार ने 1994 में जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बना ली थी। नीतीश ये जानते थे कि वो लालू के साथ राज्य के नेतृत्व की सीढ़ी की ओर नहीं देख सकते थे।
इस विलय के बीच बिहार विधान परिषद के प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि जैसे ही यह विलय होगा, नीतीश कुमार समाप्त हो जाएंगे! बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो चुके हैं और जैसे ही दोनों दलों का विलय होगा वह समाप्त भी हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिस तरह से 30% MY समीकरण का वोट लेकर लालू यादव पिछले 31 सालों से अपनी राजनीति कर रहे हैं। नीतीश कुमार उसमें समा जाएंगे।
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