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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : केरल के भाजपा नेता टीजी मोहनदास ने महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को लेकर सनसनीखेज दावा किया है। मोहनदास ने कहा कि जेल में रहने के दौरान गोडसे का धर्मांतरण कर ईसाई बनाने की कोशिश की गई थी।
मोहनदास का दावा है कि इसकी जानकारी उन्होंने नई दिल्ली स्थित भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार से जुटाई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने हजारों दस्तावेजों को खंलागा है। इससे संबंधित एक दस्तावेज की कॉपी भी उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया है।
अपने ट्वीट में मोहनदास ने कहा, “मैंने महात्मा गाँधी की हत्या पर भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में लगभग 11,000 दस्तावेजों का निरीक्षण किया है। सबसे दिलचस्प चीजों में से एक जो मैंने पाया वह यह थी कि मुकदमे के तहत जेल में रहे गोडसे को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया गया था!”
I have inspected around 11,000 docs in National Archives of India, New Delhi on the murder of Mahatma Gandhi. One of the most interesting things I found was that there was an attempt to convert Godse who was in jail under trial, to Christianity! 😀
Cc: @ARanganathan72 @SreeIyer1 pic.twitter.com/SEok8ZuM3v— TG Mohandas (@mohandastg) December 16, 2022
मोहनदास द्वारा साझा किए गए दस्तावेज में दिख रहा है कि पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त वाईके पुरी ने भारत के विदेश मंत्रालय के अपर सचिव प्रेम कृशन को एक पत्र लिखा था। यह पत्र 14 सितंबर 1949 को पाकिस्तान के लाहौर शहर से लिखा गया था।
इस पर लिखा है, “प्रिय प्रेम कृशन जी, मैं दो एयरमेल पत्र भेज रहा हूँ, जिसमें ईसाइयत के बारे में उपदेश है। यह गाँधी जी की हत्या में आरोपित श्री नाथूराम विनायक गोडसे और नारायण आप्टे के लिए ब्रिटेन से आया है।”
मोहनदास कहते हैं कि ब्रिटेन द्वारा भेजा गया असली पत्र उपलब्ध नहीं है। उसका कवर लेटर ही सिर्फ उपलब्ध है। मोहनदास ने सवाल उठाया है कि क्या वह पत्र नाथूराम गोडसे को दे दिया गया था? अगर दिया गया था कि उनकी प्रतिक्रिया क्या थी? इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
जानकारी दें, पाकिस्तान को लेकर महात्मा गाँधी के प्रयासों से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में गोडसे केे साथ-साथ नारायण आप्टे को भी गिरफ्तार किया गया था। दोनों को 10 फरवरी 1949 को फाँसी की सजा सुनाई गई थी और 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फाँसी दे दी गई थी।
महात्मा गाँधी की हत्या में कुल नौ आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान सिर्फ एक व्यक्ति को बरी किया गया था, जिनका नाम विनायक दामोदर सावरकर है। गोडसे और आप्टे को फाँसी के अलावा बाकी छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इनमें गोडसे के भाई गोपाल गोडसे भी शामिल थे।
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