ये कहने में बड़ा अच्छा लगता है कि ना दहेज़ लें और ना दें लेकिन इंसानी फितरत के चलते ये रीति रिवाज में शामिल कर लिया गया है कि दहेज़ के बिना शादी कैसे होगी। कहीं शादी का फर्नीचर पुराना बताकर बारात लाने से इनकार कर दिया जाता है तो कहीं लड़कियों को दहेज़ के चलते बलि चढ़ा दिया जाता है।
हैदराबाद में एक लड़की की शादी बस ड्राइवर से तय हुई। दान-दहेज़ की रकम भी तय हो गई थी। शादी के लिए रिश्तेदारों को न्योता भी जा चुका था, कुछ आ भी गए थे। लड़की के पिता बारात के स्वागत की तैयारियां कर रहे थे।
लेकिन ऐन वक्त पर ड्राइवर साहब और उनके घर वालों ने बारात लाने से इनकार कर दिया। कारण कि उन्हें दहेज में मिला फर्नीचर पसंद नहीं आया। लड़के पक्ष ने आरोप लगाया कि उसे दहेज़ में पुराना फर्नीचर दिया जा रहा था।
इधर, शादी टूटने से परेशान लड़की के पिता ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई। जिसके बाद आरोपी दूल्हा और उसके परिवार वालों पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
अपने देश में पसंद का फर्नीचर न मिलने पर लड़के शादी तोड़ रहे हैं; दूसरी ओर चीन में लड़कों को शादी के लिए अच्छी खासी रकम देनी पड़ रही है। चीन के ग्रामीण इलाकों में दूल्हे के घर वालों से इतना दहेज़ वसूला जाने लगा है कि इससे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चिंतित हो गई है। पार्टी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से इस समस्या पर बात की और इससे निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन से अपील की।
फरवरी, 2023 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की फर्स्ट पॉलिसी डॉक्यूमेंट में लड़कों से दहेज़ लेने की समस्या पर बात की गई है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के ग्रामीण इलाकों में दुल्हन के लिए लड़कों को 25 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक की रकम चुकानी पड़ रही है। जिसके चलते बेरोजगार और गरीब घर के लड़कों की शादी तक नहीं हो पा रही है।
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