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India News (इंडिया न्यूज़),Andhra Pradesh news: आंध्र प्रदेश के एक गांव तक पीने का पानी पहुंचने में 25 साल लग गए। अब तक यहां के लोग पानी के लिए तरस रहे थे। पानी के बिना गांव के लोगों का जीवन नरक बन गया था। ग्रामीण गड्ढे में जमा पानी से अपना गुजारा करते रहे। वे गड्ढे से इकट्ठा पानी पीते थे और उससे खाना पकाते थे। जिस गड्ढे पर पूरा गांव निर्भर था उसमें जमा पानी बारिश के कारण दूषित हो गया। पानी पीने से ग्रामीण बीमार पड़ने लगे। दूषित पानी पीने से दो लोगों की मौत हो गयी।
25 साल पहले राज्य के एलुरु जिले के कुक्कुन्नूर मंडल के जंगल में आदिवासियों ने एक गांव बसाया था। आज इसे कुरुमुलातोगु गांव के नाम से जाना जाता है। गांव के ग्रामीण हरे-भरे जंगलों के बीच खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं। गांव में शुरू से ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। ग्रामीणों ने पानी के लिए गांव में गड्ढा खोदा था। वह इस गड्ढे में पानी जमा करके रखता था और उसका उपयोग करता था।
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कुरुमुलातोगु गांव जंगलों के बीच स्थित है। यहां के आदिवासी लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं। अब तक न तो पीने के लिए पानी था और न ही खाने के लिए खाना। लोगों को गड्ढों का पानी पीना पड़ा। उनके पास नल भी नहीं था जिससे वे साफ पानी पी सकें। जिस गड्ढे पर पूरा गांव निर्भर था, उसका पानी पिछले दिनों बारिश के कारण दूषित हो गया।
गांव में लोगों के पास पीने के पानी के लिए एक ही गड्ढा था, कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मजबूरी में वह वही दूषित पानी पीते रहे, जिससे ग्रामीण बीमार पड़ने लगे। उन्हें उल्टी होने लगी, मासूम बच्चे डायरिया के शिकार हो गये। इतना ही नहीं डायरिया से दो लोगों की जान भी चली गयी। इनमें एक मासूम बच्चा भी शामिल था। बीमार पड़े बाकी लोगों का इलाज फिलहाल सरकारी अस्पताल में चल रहा है।
गांव में पानी से हुई मौतों से पूरे सरकारी विभाग में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने तुरंत एक मेडिकल टीम का गठन किया। पानी की जांच की गई तो पता चला कि जो पानी ग्रामीण पी रहे थे वह दूषित था। आईटीडीए पीओ सूर्य तेजा ने गांव का दौरा किया। उनके प्रयास से 25 साल बाद गांव में बोरवेल लगाया गया। अधिकारियों ने पानी की समस्या से जूझ रहे सभी परिवारों को हैंडपंप की सुविधा उपलब्ध कराई। उनके प्रयास से 25 साल बाद गांव में खुशहाली आई है।
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