India News (इंडिया न्यूज़), Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बीजेपी से दोस्ती वाले बयान पर सियासी बयानबाजी तेज है। वैसे खुद नीतीश कुमार ने सफाई दी और ठीकरा मीडिया पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि हमें अब कोई मतलब नहीं है। आप लोगों से हम कुछ नहीं कहेंगे। हम बोलते कुछ है। आप छापते कुछ और हैं। तेजस्वी के कंधे पर हाथ रखकर नीतीश कुमार ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए एकबार फिर कहा कि हम लोग साथ हैं।
ये बच्चा यानि तेजस्वी हमारा सबकुछ, सब खुश हैं। नीतीश ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी पर पटलवार किया। कॉलेज के जमाने को याद दिलाते हुए, ठीक पीछे खड़े तेजस्वी यादव की ओर इशारा करके कहा कि इसके पिताजी जो पटना यूनिवर्सिटी के चेयरमैन थे। उन्होंने सुशील मोदी को जनरल सेक्रेटरी बनाया। हम इंजीनियरिंग कॉलेज में थे। वहां के 500 वोट में से साढ़े चार सौ इन्हीं लोगों को दिलवाए थे। जब तक साथ में थे तो हम ठीक थे। डिप्टी सीएम नहीं बनाए तो रोज बोलते रहते हैं।
कुछ-कुछ खूब छपता है उनका, खूब छापिए। दरअसल मोतिहारी मे राष्ट्रपति के एक कार्यक्रम में नीतीश ने बीजेपी नेताओं की ओर देखते हुए कहा था, हमरा दोस्ती त कभियो खत्म नहीं होगा। इसके बाद से ये सियासी बोल बिहार की सियासत को गर्म कर दी है। इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार एक कदम और आगे बढ़ कर कहा कि “जब तक जिंदा है, दोस्ती बनी रहेगी। ” नीतीश कुमार के बयान के मायने निकाले जा रहे हैं। बिहार की राजनीति और नीतीश कुमार को समझने वाले ये कहने लगे है की कब, कैसे, कहां नीतीश पलटी मार दें, कोई नहीं जानता । नीतीश कुमार का जब तब बीजेपी की ओर झुकाव , आखिर कुछ तो है।
राजनीतिक विशेषज्ञ ये भी कह रहे है ये सब आरजेडी पर प्रेशर पॉलिटिक्स है। नीतीश को मनमाफिक सीटें चाहिए। दरअसल बिहार में इन दिनों सीटों की शेयरिंग को लेकर भी लोचा चल रहा है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। नीतीश कुमार की पार्टी 16 से कम पर तैयार नहीं है। क्योंकि वह उसकी सीटिंग सीट है। आरजेडी उन्हें उतनी सीट देना नहीं चाहता। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की दावेदारी अलग-अलग है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव में कांग्रेस 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी और इसलिए 10 सीटों पर उनका हक बनता है।
लेफ्ट पार्टी अभी तकरीबन इतनी ही सीटों की दावेदारी कर रही है। अगर उनकी बात मान ली गई तो आरजेडी और जदयू के लिए बेसिकली बीस सीट ही बचेगी। सबसे बड़ा सवाल यही है आरजेडी और जदयू 20 सीटों से संतुष्ट हो पाएंगे। लेकिन सबसे बड़ा पेंच ये भी है कि आरजेडी ने जेडीयू की 6 सीटों पर दावा ठोका है। यह बांका ,भागलपुर ,गोपाल गंज, जहानाबाद, मधेपुरा और सिवान जिसे आरजेडी अपने लिए चाहता है।
कांग्रेस भी जदयू की कटिहार सीट पर दावा कर रही है। इस हिसाब से देखे तो जेडीयू के खाते में सिर्फ 9 सीट ही मिलेगी। क्या जेडीयू और क्या नीतीश इसके लिए तैयार होंगे।यही वजह है की नीतीश ये संकेत देने से नहीं चूकते की एनडीए का दरवाजा उनके लिए खुला है। कभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में तो कभी राष्ट्रपति के समक्ष उनका इशारा बस घुड़की ही है। कहा ये भी जाता है कि नीतीश बीते दो साल से महागठबंधन में है। और बस इसलिए हैं की उनका सबसे बड़ा प्लान है सर्वमान्य पीएम फेस बनना।
वैसे ये माना जा रहा है कि नीतीश कोई कदम अब लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही उठाएंगे । बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया की पूरा बिहार आराजकता का शिकार है। कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। सत्ता में बैठे लोग सीट के लिए मारामारी कर रहे हैं। जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को बीमार बताते हुए तंज कसा।
सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार कब किसको दुश्मन और किसको दोस्त बनाएंगे यह पता ही नहीं चलता है। इसलिए अब हम लोग नीतीश कुमार की बात को दूध भात लेते हैं यानी बच्चा समझकर उनकी बात पर ध्यान नहीं देते हैं।
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