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India News (इंडिया न्यूज़), Bihar News : नीतीश कुमार मास्टर स्ट्रोक खेल चुके हैं । नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी 2024 में धमाल मचाने को तैयार है। लेकिन इसके पहले सीट बंटवारे में बिहार में विपक्षी एकजुटता तार तार ना हो जाए, इसकी आशंका भी है। जिस तरह से नीतीश कुमार और लालू यादव ने मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन के 26 दलों को एकजुट करने में अपनी ताकत दिखाई है, क्या यह नमूना सीट शेयरिंग में भी दिखेगा ।
यह एक बड़ा सवाल है। माना जा रहा है की सीट शेयरिंग के मामले में इंडिया गठबंधन के दलों में बिखराव है। यह खींचतान अब और आगे बढ़ेगी , इसकी भी आशंका जताई जा रही है ।क्योंकि पहले नीतिश की पार्टी में ही पेंच फंसा हुआ है। नीतीश कुमार क्या दरिया दिल दिखा पाएंगे इसकी संभावना कम है। नीतीश कुमार की छह सिटिंग सीटों पर आरजेडी ने दावेदारी ठोकी है।
कांग्रेस को भी जदयू की एक सीटिंग सीट चाहिए। अगर जेडीयू ने सीट छोड़ी तो जेडीयू में अंदरूनी कलह का खतरा हैं। जिस तरह से इंडिया गठबंधन के बाकी दल नीतीश कुमार को 10 सीटों पर समेटना चाहते हैं क्या नीतीश तैयार होंगे। वैसे विपक्षी गठबंधन के बड़े नेता ये कह रहे हैं की लोकसभा चुनाव में सीटों की शेयरिंग में विशेष कोई बाधा नहीं आएगी लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा।
बिहार गठबंधन के 6 दलों के इंडिया गठबंधन में लोकसभा सीटों का बंटवारा मामूली बात नहीं है। आपको बता दें कि बिहार में कुल सीट 40 है इनमें एनडीए के पास 23 सीट हैं जिसमें 17 सीट बीजेपी के पास है और 6 सीट एलजेपी के चाचा भतीजा के पास है। नीतीश कुमार ने 2019 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा और 16 सीटों पर जीत हासिल की।
आरजेडी शून्य और कांग्रेस किसी तरह एक सीट जीती थी। खासतौर पर जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के नंबर वन नेता के रूप में उभरे हैं। बिहार में इंडिया गठबंधन के नेता अब यह कहने लगे हैं कि परफेक्ट कैंडिडेट नीतीश कुमार ही है। इसको लेकर पोस्टर्स भी लग रहे हैं।
इस समय लालू यादव नीतीश कुमार के साथ है। मगर बिहार में सीट बंटवारे को लेकर फिलहाल पेंच फसा है। नीतीश कुमार के पीएम और तेजस्वी के सीएम बनने का सपना लोकसभा चुनाव के सीटों के बंटवारे पर ही निर्भर है। फिलहाल नीतीश कुमार की पार्टी 16 से कम पर तैयार नहीं है। क्योंकि वह उनकी सीटिंग सीट है।
आरजेडी उन्हें उतनी सीट देना नहीं चाहती। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की दावेदारी अलग-अलग है। कांग्रेस पहले ही कह चुकी है की 10 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी और 10 सीटों पर उनका हक बनता ही है ।लेफ्ट पार्टी अभी तकरीबन इतनी ही यानि 10 सीटों की दावेदारी कर रही है।
अगर उनकी बात मान ली गई तो आरजेडी और जदयू को 20 सीटों से संतुष्ट होना पड़ेगा। सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि आरजेडी ने जेडीयू की 6 सीटों पर जो दावा ठोका है यह बांका, भागलपुर, गोपालगंज, जहानाबाद ,मधेपुरा और सिवान है। ये सीटें आरजेडी अपने लिए चाहता है। कांग्रेस भी जदयू की कटिहार सीट पर दावा कर रही है। इस हिसाब से देखे तो जेडीयू के खाते में सिर्फ 9 सीट ही मिलेगी। क्या जेडीयू और क्या नीतीश कुमार इसके लिए तैयार होंगे।
जदयू नेता के बीच इसको लेकर पहले से ही असमंजस की स्थिति है। नीतीश कुमार को अगर अपनी सीटिंग सीटों में कटौती करने की नौबत आती है तो उन्हें उन नेताओं को मनाना समझाना मुश्किल होगा जो इस बार भी टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं। खास तौर ऐसे में टिकट न मिलने की स्थिति में ये जेडीयू सांसद बीजेपी का रुख कर सकते हैं।
बीजेपी को शायद इस बात का पूर्वाभास भी है। फिलहाल सीटों के बंटवारे को लेकर लालु यादव और नीतीश कुमार की बैठक लगातार हो रही है। और अब ऐसे समय में जब जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े आ गए हैं तो सीट शेयरिंग भी इस आधार पर ही होनी तय है।
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