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Chhattisgarh High Court: लिव इन रिलेशन में पैदा हुए बच्चे की मांग की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, जानें पूरा मामला-Indianews

BY: Shalu Mishra • LAST UPDATED : May 8, 2024, 1:35 pm IST
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Chhattisgarh High Court: लिव इन रिलेशन में पैदा हुए बच्चे की मांग की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, जानें पूरा मामला-Indianews

Break-Up Punishment

India News(इंडिया न्यूज), Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ HC ने व्यक्तिगत कानूनों और अंतरधार्मिक विवाहों की जटिलताओं पर जोर देते हुए, लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी के लिए एक व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप की प्रथा को लेकर एक मामले पर फैसला सुनाया है। आइए इस खबर में आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला..

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सिद्दीकी की याचिका कोर्ट ने की खारिज 

दंतेवाड़ा निवासी याचिकाकर्ता अब्दुल हमीद सिद्दीकी (43) ने एक अलग धर्म की महिला (36) के साथ लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी की मांग की। दंतेवाड़ा की एक पारिवारिक अदालत ने दिसंबर 2023 में उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।
सिद्दीकी ने दावा किया कि 2021 में “शादी” करने से पहले वे तीन साल तक साथ लिव इन रिलेशन में रहे। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हिंदू कानून का पालन करने वाली महिला के साथ “मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार” अंतरधार्मिक विवाह किया था। उन्होंने तर्क दिया कि मुस्लिम कानून के अनुसार, उन्हें “एक से अधिक विवाह करने का अधिकार है।

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शादी शुदा होने के बाद भी रखा लिव इन रिलेशन 

जिससे दूसरी शादी को वैध ठहराया जा सकता है”। उन्होंने बच्चे की देखभाल करने में सक्षम होने का भी दावा किया।
महिला अपने माता-पिता के साथ उपस्थित हुई और कहा कि उसने अपने माता-पिता के साथ रहना चुना है और उनके संरक्षण के दावे का विरोध किया है। अदालत ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह की वैधता के संबंध में याचिकाकर्ता के बयानों में विसंगतियां पाईं क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा था, अपनी पत्नी के साथ रहता था और उसके तीन बच्चे भी थे। महिला के वकील ने दलील दी कि याचिका में शादी की वैधता साबित करने के लिए सबूतों का अभाव है।

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