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Shivraj raised questions on Priyanka Gandhi’s free education scheme.
India News (इंडिया न्यूज़), Election stakes, Bhopal: मध्यप्रदेश के मंडला में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पढ़ो और पढ़ाओ योजना के जरिए निशुल्क शिक्षा का ऐलान कर एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है। प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनावों को लेकर मतदाताओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से निशुल्क शिक्षा का सियासी दांव चला है। गांधी ने कहा कि एमपी में कांग्रेस की सरकार बनने पर पहली से बारहवीं तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी।
पहली से पांचवीं तक के बच्चों को हर महीने 500 रुपये, 6वीं से 8वीं तक 800 रुपये, 9वीं से 11वीं तक 1000 रुपये और इसके बाद बारहवीं तक के बच्चों को 1500 सौ रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। इसके पहले विधानसभा चुनाव 2018 के समय प्रियंका गांधी के भाई राहुल गांधी ने कर्जमाफी करने का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद कांग्रेस की सरकार बन तो गई, लेकिन कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं किया गया और कुछ समय बाद कांग्रेस की सरकार तो गिर ही गई। कांग्रेस की कर्जमाफी के फेर में मध्यप्रदेश का किसान डिफाल्टर अलग हो गए थे।
पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों के द्वारा फ्री की रेवड़ी बांटने की चुनावी दांव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि ये एक गंभीर मुद्दा है और इस पर चर्चा होनी चाहिए। संसद में इस पर बहस होनी चाहिए। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भी सियासी दल विधानसभा चुनाव के लिए वोटरों को आकर्षित करने के लिए फ्रीबीज का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। मंडला में प्रियंका गांधी ने निशुल्क शिक्षा का ऐलान किया है। कांग्रेस और भाजपा ही नहीं मध्यप्रदेश में अपनी सियासी पैठ बनाने में जुटी आम आदमी पार्टी ने भी निशुल्क शिक्षा के नाम पर वोटरों को लुभाने का दांव चला है।
कांग्रेस के इस सियासी दांव पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ ने प्रियंका गांधी से झूठ बोलकर घोषणा तो करवा ली है। ऐसे ही कमलनाथ ने 2018 में राहुल गांधी से कर्जमाफी के नाम पर झूठ बुलवा लिया था। कांग्रेस को पता है कि उनकी सरकार मध्यप्रदेश में आनी नहीं है। कमलनाथ चुनावों के बाद अपने हेलीकॉप्टर से दिल्ली चले जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारी सरकार ने प्रतिभावान छात्रों को निशुल्क लैपटॉप दे रही है। स्कूटी दे रही है। कांग्रेस की जब सरकार थी तो उसने तो युवाओं को ढोर चराने की ट्रेनिंग दी थी।
स्कूल शिक्षा विभाग के पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पहलीं से 12वीं तक की कक्षा में 89 लाख 85 हजार 543 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। इन बच्चों को कांग्रेस की घोषणा को पूरा करने पर कुल 7 हजार 428 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आएगा। कर्ज के बोझ के तले दबे मध्यप्रदेश में निशुल्क शिक्षा के लिए बजट की व्यवस्था करने के लिए आने वाली सरकार को पसीना बहाना होगा। क्योंकि वर्तमान में लाड़नी बहना योजना जिसके अंतर्गत वर्तमान में एक करोड़ 32 लाख बहनों को प्रतिमाह 1250 रुपये देने पड़ रहे हैं। इस योजना के लिए भी बजट का प्रावधान करने में मप्र सरकार को वैसे ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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