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India News (इंडिया न्यूज़),Gujarat News : तीन दिवसीय गुजरात दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देर रात एक बैठक ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे देर रात की ये मुलाकात काफी देर तक चली। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में लोकसभा के साथ सरकार और संगठन में बदलाव को लेकर चर्चा हुई।
भारत-पाकिस्तान मैच से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 13 अक्टूबर की रात अहमदाबाद पहुंचे। उसी दिन दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर गुजरात के नेताओं के साथ बैठक हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में गुजरात में विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन को शून्य पर रोकने के लिए पार्टी किसी भी कीमत पर सभी 26 सीटें जीतना चाहती है। ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले उन नेताओं को सक्रिय करना चाहती है जो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।
गांधीनगर में अमित शाह की ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार की भूपेन्द्र पटेल कैबिनेट के साथ-साथ संगठन में भी बदलाव हो सकता है। जहां मौजूदा कैबिनेट के कुछ मंत्रियों के विभाग में बदलाव की अटकलें हैं। वहीं कुछ मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने की भी चर्चा है। संगठन को लेकर चर्चा है कि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की टीम में महासचिवों की घोषणा हो सकती है।
भार्गव भट्ट के जाने और प्रदीप सिंह जाडेजा के इस्तीफे के बाद दो महामंत्रियों के पद खाली हो गए हैं। उम्मीद है कि पार्टी 2024 के चुनाव तक राज्य की बागडोर सीआर पाटिल के हाथों में ही रखेगी। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद बीजेपी ने गुजरात में कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया। पार्टी ने 2014 और 2019 में सभी 26 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। पार्टी किसी भी कीमत पर 2024 के चुनाव में क्लीन स्वीप की हैट्रिक चाहती है। गुजरात बीजेपी और सरकार में बदलाव की अटकलें काफी समय से लगाई जा रही हैं।
गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें है पीछली दो टर्म से गुजरात में भाजपा ने क्लीन स्वीप कीया हुआ है। हालांकी 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास 11 सीटें थीं। पार्टी के लिए 2024 के चुनाव में खाता खोलना एक बडी चुनौती माना जा रहा है राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला है तो मुकुल वासनिक प्रभारी के तौर पर मिल गए है। अब देखना यह होगा की क्या ये दो मजबूत नेता की नियुक्ति के बाद ही गुजरात कांग्रेस में कुछ किया जा सकता है या नहीं। अन्यथा 2024 में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे की शुरुआत गुजरात से होती दिख रही है। क्योंकि, जिस तरह से 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 79 सीटें जीती थीं, वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ 17 पर आ गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में गुजरात कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को हार का स्वाद चखना पड़ा और अब घर बैठने की नौबत आ गई। और इसके पीछे का कारण ओर निष्कर्ष प्रदेश के कांग्रेसी नेता निकाल रहे हैं।
वह यह है कि आम आदमी पार्टी के विधानसभा चुनाव में उतरने से उनके वोटों का नुकसान हुआ है, और तो और विधानसभा के नियमों के मुताबिक कांग्रेस के पास 10 फीसदी सीटें भी नहीं होने की वजह से विधानसभा में विपक्ष नेता का पद भी हांसल नहीं हो पाया।
यहां तक कि 2020 और 2022 के बीच हुए नगर निगम और स्थानीय स्वराज चुनावों में भी, उन अधिकांश तालुका-जिला पंचायतों पर भाजपा का भगवा लहराया, जहां कांग्रेस सत्ता में थी। सूरत नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा क्योंकि उसका कोई भी पार्षद जीत नहीं सका, और आम आदमी पार्टी ने उनसे 26 सीटें छीन लीं।
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