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Jharkhand News : झारखंड का छह हजार साल पुराना श्रीयंत्र पर आधारित मंदिर

Dharambir Sinha • LAST UPDATED : October 17, 2023, 1:28 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़),Jharkhand News : झारखंड की राजधानी रांची से महज 65 किलोमीटर की दूरी पर है रामगढ़ जिले का रजरप्पा तीर्थस्थल। यहीं विराजती हैं मां छिन्नमस्तिके। दस महाविद्या में एक हैं ये देवी। यहां मां स्वरूप दिव्य है। माता छिन्नमस्तिके ज्ञान देने वाली, भय, रोग, शत्रु,दरिद्रता का नाश करने वाली है । वज्र नारी में देवी का स्थान होता है इसीलिए वज्रवेरोचनीय कहा जाता है।

जया और विजया इनकीं सेविका और संगिनी

माँ छिन्मस्तिका को उग्र चंडी भी कहा गया है। महाविद्या मे ये श्री कुल की देवी है । जया और विजया इनकीं सेविका और संगिनी है। जिनको माँ ने अपना रक्तपान करवाया था। इनकीं बस भक्ति से ही मनोकामना पूरी होती है। मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है। माँ छिन्नमस्तिके का यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है। रजरप्पा की भैरवी और दामोदर नदी के संगम पर अवस्थित माँ छिन्नमस्तिके मंदिर भक्ति और आस्था की धरोहर है। पश्चिम दिशा से दामोदर और दक्षिण दिशा से कल-कल करती भैरवी नदी का मिलना मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। मन्दिर का इतिहास बहुत पुराना हैं ।

मां छिन्नमस्तिके का अद्भुत रूप अंकित

मान्यता है की ये देश का इकलौता मंदिर है जहां भगवती दस महाविद्या के रूप में पूजी जाती हैं। दस महाविद्या में इनका यह छठा रूप हैं। दामोदर और भैरवी के संगम स्थल के ठीक समीप ही माँ का यह मंदिर है। जिसे श्री यंत्र की तरह ही बनाया गया है। मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए मां छिन्नमस्तिके का अद्भुत रूप अंकित है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। किसी के अनुसार मंदिर का निर्माण छह हजार वर्ष पहले हुआ था तो कोई इसे महाभारत युग का मानता है।

चार बजे से माता का दरबार सजना शुरू

यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तांत्रिक क्रियाओं के रूप में देश भर में काफी प्रसिद्ध है। असम स्थित मां कामाख्या मंदिर को सबसे बड़ा तांत्रिको का सिद्धपीठ माना जाता है। यही वजह है की नवरात्र में तंत्र विद्या में पारंगत होने वाले अघोरों का यहां आना जाना लगा रहता है। अष्टमी और नवमी तिथि की आधी रात को तंत्र की साधना करते सिद्ध पुरुषों को यहां देखा गया है। वैसे प्रत्येक दिन मंदिर में प्रातः काल चार बजे माता का दरबार सजना शुरू होता है। भक्तों की भीड़ भी सुबह से पंक्तिबद्ध खड़ी रहती है। नवरात्र के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों श्रद्धालु रजरप्पा पहुंचते हैं। मंदिर के आसपास ही फल-फूल, प्रसाद की कई छोटी-बड़ी दुकानें अवस्थित हैं।

भक्तो के लिए विशेष व्यवस्था

मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की तीन आँखें हैं। बायाँ पाँव आगे की ओर बढ़ाए हुए वह कमल पुष्प पर खड़ी हैं। पाँव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं। छिन्नमस्तिका मन्दिर प्रबंधन के मुताबिक जो भी श्रद्धालु मां छिन्नमस्तिका मन्दिर में नवरात्रा करना चाहते सभी के लिए मन्दिर न्यास समिति के लिए विशेष व्यवस्था है। छिन्नमस्तिका मन्दिर में नवरात्रा में भारी भीड़ उमड़ती है। छिन्नमस्तिका मन्दिर विभिन्न प्रांतों से से पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। यहां सभी की मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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