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India News(इंडिया न्यूज),Doctors Protest: महाराष्ट्र में रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है। डॉक्टरों ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि 22 फरवरी को शाम 5 बजे से महाराष्ट्र के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि आपातकालीन मरीजों को डॉक्टर देखेंगे, लेकिन अन्य मरीजों को होने वाली परेशानी के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
MARD के अध्यक्ष डॉ। अभिजीत हेल्गे ने एक नोटिस जारी कर यह जानकारी दी और बताया कि वह केंद्र सरकार से क्यों निराश हैं। जानिए महाराष्ट्र में 8000 रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की वजह।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है, उन्होंने कहा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल 22 फरवरी को शाम 5 बजे से शुरू होगी। इस हड़ताल का कारण बताते हुए एमएआरडी के अध्यक्ष डॉ। अभिजीत हेल्गे ने कहा कि बेहतर हॉस्टल, स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और बकाया भुगतान की मांग को लेकर राज्य भर के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे।
Maharashtra Association of Resident Doctors Central (MARD) will go on a statewide indefinite strike from 5 pm tomorrow. Emergency services will remain operational to ensure the provision of essential medical care to the people during the strike. Around 8,000 resident doctors… pic.twitter.com/Ro2jHuIEyF
— ANI (@ANI) February 21, 2024
रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा। तीन पन्नों के लंबे पत्र में उन्होंने लिखा, ”राज्य भर के रेजिडेंट डॉक्टरों की प्रतिनिधि संस्था सेंट्रल एमएआरडी की ओर से राज्य के रेजिडेंट डॉक्टरों से किए गए वादों को पूरा करने में गंभीरता की कमी से हम बेहद निराश हैं। महाराष्ट्र का।
हमें आश्वासन दिया गया था कि हमारी मांगें दो दिनों के भीतर पूरी कर दी जाएंगी, लेकिन दो सप्ताह बाद भी हमारी मांगों पर कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने आगे कहा, हमने पहले भी सरकार की बातों पर भरोसा जताया था और कई बार अपनी हड़ताल वापस ली थी।
स्वास्थ्य मंत्री को भेजे पत्र में रेजिडेंट डॉक्टरों ने लिखा है कि हमारी कई दलीलों के बावजूद ऐसा लगता है कि हमारी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके चलते हमारे पास अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सेवाओं में काफी दिक्कत आ सकती है। इसके चलते डॉक्टरों ने पहले पत्र में मरीजों से माफी मांगी और आगे कहा कि वे इमरजेंसी केस देखेंगे। लेकिन अगर मरीजों की देखभाल में कोई दिक्कत आती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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