संबंधित खबरें
Jharkhand Election: झारखंड चुनाव के लिए BJP की पहली लिस्ट जारी, 66 उम्मीदवारों का ऐलान ; जानें किसे कहां से मिला टिकट?
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान आज, जानें कितनी विधानसभा सीटों पर डालें जाएंगे वोट?
मध्य प्रदेश को Adani Group ने दिया बड़ा तोहफा, इतने करोड़ रुपये का करेगा निवेश
CM योगी ने लिया PM मोदी का बदला, अभद्र टिप्पणी करने वाले इस गैंगस्टर के अवैध बिल्डिंग पर चलवाया बुलडोजर
झारखंड के पूर्व CM चंपई सोरेन इस डेट को बीजेपी में होंगे शामिल, हिमंता बिस्वा सरमा ने किया बड़ा ऐलान
'भारत में रहना है तो राम-कृष्ण की जय कहना….',जन्माष्टमी पर CM Mohan Yadav ने दिया बड़ा बयान
इंडिया न्यूज (India News), Mumbai Court, मुंबई: देह व्यापार में शामिल होना अपराध नहीं है बल्कि सार्वजनिक जगह पर ऐसा करना, जिससे दुसरे लोगों को परेशानी हो उसे अपराध बोला जा सकता है। ये फैसला सुनाते हुए मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने एक 34 साल की देह व्यापार से जुड़ी महिला को शेल्टर होम से मुक्त करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि इस साल फरवरी माह में मुलुंड में छापेमारी हुई थी। इस दौरान महिला को हिरासत में लिया गया था। मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उस वक्त महिला को देखभाल, सुरक्षा और आश्रय के लिए एक साल की अवधि तक हिरासत में रखने का आदेश दिया था। मजिस्ट्रेट की कोर्ट को चुनौती देते हुए महिला ने सेशन कोर्ट का रुख अपनाया था। सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है। साथ ही महिला को रिहा करने का आदेश दिया है।
सेशन कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लेख करते हुए कहा, स्वतंत्र रूप से घूमने तथा देश के किसी भी हिस्से में रहने व बसने का सभी का मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा कि महिला को सिर्फ उसके काम के चलते हिरासत में रखना उचित नहीं होगा। महिला के दो बच्चे हैं। उन्हें निश्चित तौर पर अपनी मां की जरूरत है। महिला को उसकी इच्छा के खिलाफ हिरासत में लेना उसके अधिकारों के खिलाफ होगा।
सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का न्यायाधीश ने हवाला दिया, जिसमें यौनकर्मियों के अधिकारों को लेकर चर्चा की गई थी। इसके साथ ही राज्य सरकार को उनके अधिकारों को लेकर सर्वे तथा सुरक्षात्मक घरों में उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में रखे गए वयस्क पीड़ितों को रिहा करने का आदेश दिया गया था। अदालत ने कहा, इन उदाहरण, कानूनी स्थिति और पीड़ित महिला की उम्र को ध्यान में रखते हुए 15 मार्च, 2023 के निर्देश को अलग करने व पीड़िता को स्वतंत्रत करने की आवश्यकता है।
कोर्ट से महिला ने कहा कि आरोपी और उसके सहित तीनों पीड़ितों को FIR दर्ज होने के बाद मझगांव कोर्ट में पेश किया गया था। जिसके बाद आय सत्यापन के लिए पीड़ितों को भेजा गया और उनकी हिरासत की तारीख बढ़ा दी गई। मजिस्ट्रेट ने इस बीच मेडिकल अधिकारी से एक रिपोर्ट मांगी जिसमें पीड़ित महिला को बालिग बताया गया था। महिला ने बताया कि 3 में से 2 लोगों को पहले ही रिहा कर दिया गया था। मगर उसे देवनार के आश्रय गृह में एक साल के लिए भेज दिया गया। उसके दो बच्चे हैं जिन्हें अपनी मां की जरूरत है।
पीड़िता ने कहा कि उसे 19 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। मजिस्ट्रेट ने आदेश पारित करते वक्त पीड़ित महिला के विचार पर ध्यान न देते हुए एक यांत्रिक आदेश पारित किया। महिला ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत उन्हें कहीं भी आने-जाने और कहीं भी रहने का पूरा अधिकार है। उसकी याचिका का राज्य ने विरोध किया। साथ ही कहा कि ऐसी संभावना है कि फिर से महिला देह व्यापार में शामिल हो सकती है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.