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India News (इंडिया न्यूज़), Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की सरकार के विभिन्न विभागों में अंशकालिक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब इन कर्मचारियों को 10 वर्षों की अंशकालिक सेवा के बाद ही दैनिक वेतन भोगी का दर्जा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए हिमाचल हाईकोर्ट के निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की वर्ष 2004 की नीति के तहत पूर्वव्यापी प्रभाव से दैनिक वेतन भोगी का दर्जा देने का निर्णय सुनाया था।
राज्य सरकार बनाम गिरधारी लाल के मामले में 19 मई 2022 को पारित इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन ने हाईकोर्ट के इस निर्णय में हस्तक्षेप करने से इंकार किया है। हाईकोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने दलील दी थी कि जब सरकार द्वारा साल 2004 में ही 10 वर्षों की अंशकालिक सेवा के बाद दैनिक वेतन भोगी का दिए जाने का निर्णय लिया गया था तो ऐसे में इसका लाभ पूर्वव्यापी प्रभाव से नहीं दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार की यह दलील को नकारते हुए अपने फैसले में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा अंशकालिक कर्मचारियों को 10 वर्ष की सेवा के बाद दैनिक वेतन भोगी का दर्जा देने का निर्णय किया गया है। इसका मतलब यह है कि जो भी अंशकालिक कर्मचारी 10 साल का सेवाकाल पूरा करता है, वह दैनिक वेतन भोगी का दर्जा पाने का हक रखता है। गिरधारी लाल को विभाग ने 16 वर्षों के बाद 17 जुलाई 2004 को दैनिक वेतन भोगी का दर्जा दिया था। जबकि वह वर्ष 1988 से अंशकालिक कर्मचारी के तौर पर आबकारी एवं कराधान विभाग में अपनी सेवाएं दे रहा था।
बता दें कि तत्कालीन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने उसे 10 वर्ष की सेवा के बाद पहली अप्रैल 1998 से दैनिक वेतन भोगी और पहली अप्रैल 2006 से वर्कचार्ज स्टेटस का दर्जा देने के आदेश दिए थे। प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के इस निर्णय को सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि सरकार ने अंशकालिक कर्मचारियों को लाभ देने के लिए नीति बनाई है, जिसका लाभ पूर्वव्यापी प्रभाव से दिया जा सकता है।
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