India News(इंडिया न्यूज), Telangana Student Suicide: इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम के बाद तेलंगाना के सात छात्रों ने आत्महत्या कर ली। तेलंगाना में पुलिस ने कहा कि बुधवार को इंटरमीडिएट सार्वजनिक परीक्षा के नतीजे जारी होने के 48 घंटों के भीतर मौत की खबर सामने आई। ये दिल दहलाने वाली खबर तेलंगाना से सामने आ रही है। इस खबर में आपको बताते हैं कि ऐसा क्या कारण था जिसकी वजह से एक ने नहीं बल्कि सात विद्यार्थियों ने आत्महत्या की।
तेलंगाना राज्य बोर्ड द्वारा प्रथम (कक्षा 11) और दूसरे वर्ष (कक्षा 12) के लिए इंटरमीडिएट सार्वजनिक परीक्षा 2024 के परिणाम जारी करने के कुछ घंटों बाद दो लड़कियों सहित सात छात्रों की कथित तौर पर आत्महत्या से मृत्यु हो गई। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि बुधवार को परिणाम जारी होने के बाद पिछले 48 घंटों में मौतें हुईं। जानकारी के बाद पता चला कि ये सातों छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं कर पाए, फेल हो गए। शायद ये सदमा वो सह नहीं पाए या फिर ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि अपने परिवार और समाज के डर से उन्हे यही रास्ता बेहतर लगा।
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महबुबाबाद के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जिन दो लड़कियों ने कथित तौर पर अपनी जान दे दी, वे परीक्षा में फेल हो गईं। ये मामले हैदराबाद के बाहरी इलाके राजेंद्रनगर, खम्मम, महबुबाबाद और कोल्लूर से सामने आए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहला मामला मनचेरियल जिले में सामने आया जहां 16 वर्षीय एक लड़के ने अपने आवास पर फांसी लगा ली क्योंकि वो छात्र चार विषयों में फेल हो गया था। आत्महत्या से मरने वाले छात्रों की उम्र 16 या 17 साल थी। पुलिस ने कहा कि कुछ छात्रों ने फांसी लगाकर, सामुदायिक कुएं में कूदकर या तालाब में डूबकर अपनी जान दे दी।
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इस साल की शुरुआत में आयोजित इंटरमीडिएट परीक्षा में 9.8 लाख से अधिक छात्र उपस्थित हुए थे। लगभग 61.06% छात्र (2.87 लाख) प्रथम वर्ष (कक्षा 11 के बराबर) में उत्तीर्ण हुए। दूसरे वर्ष में उत्तीर्ण प्रतिशत 69.46% (3.22 लाख) था। 2019 में इंटरमीडिएट के नतीजे जारी होने के बाद तेलंगाना में 22 छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई।
देश में छात्र आत्महत्याओं में से 5 प्रतिशत मामले तेलंगाना में हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2022 में राज्य 28 राज्यों में 11वें स्थान पर था। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश शीर्ष तीन राज्य थे जहां छात्रों की आत्महत्या की संख्या सबसे अधिक थी। इन मामलों के बढ़ने का कारण केवल अंक नहीं है, न ही उनका फेल होना है। क्या बच्चे फेल पहले नहीं होते थे किंतु इसका एकमात्र रास्ता मौत को स्वीकार करना तो नहीं। हमारे समाज में लोगों को ऐस मानसिकता को तोड़ने की आवश्यकता है जहां केवल टॉपर्स की ही जरूरत हो।
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