India News(इंडिया न्यूज),Varanasi News: वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित मशान नाथ मंदिर में मध्यरात्रि विशेष तरह के अनुष्ठान संपन्न हुए। बाबा की साधना में तामसी भोग के साथ 11 खप्परों को कारन (शराब) से भरा गया और जलती चिताओं के बीच पूजन संपन्न हुआ। वहीं हरिश्चंद्र घाट पर बाबा मशान नाथ के मंदिर में साधकों ने अनुष्ठान भी किए।
बीते अमावस की काली रात । महाश्मशान मणिकर्णिका पर जलती हुई चिताओं के बीच साधक मशान को जगा रहे थे। तांत्रिक सिद्धियों की कामना से साधकों ने अनुष्ठान आरंभ किए। चिताओं की आग आसमान छूने को बेकल थी वही दीयों की लौ भी झिलमिला रही थी। यहां भी बलि दी गई, वह भई नींबू की। कुछ ऐसा ही नजारा गंगा पार रेती व हरिश्चंद्र घाट के आसपास भी नजर आया।
सोमवार के दिन जहां गृहस्थ महालक्ष्मी का स्वागत कर रहे थे, वहीं तांत्रिक सिद्धियों के लिए देवी काली और बाबा भैरव के साथ ही बाबा मशान नाथ की उपासना कर रहे थे। मणिकर्णिका घाट पर स्थित मशान नाथ मंदिर में मध्यरात्रि विशेष अनुष्ठान संपन्न हुए। बाबा की साधना में तामसी भोग और 11 खप्परों को कारन (शराब) से भरा गया। वही जलती चिताओं के बीच पूजन समाप्त हुआ। और हरिश्चंद्र घाट पर बाबा मशान नाथ के मंदिर में साधकों ने अनुष्ठान भी किए।
सिद्धियों की प्राप्ति के लिए तांत्रिक पूरी रात बाबा मशान नाथ के मंदिर से लेकर जलती चिताओं तक तंत्र क्रियाओं को सिद्ध करते रहे। महाश्मशान पर तांत्रिक सिद्धि कर रहे कापालिक बाबा ने जानकारी दी कि अमावस की रात तंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम होती है।
जलती हुई चिताओं के बीच शव साधना में महाकाली व शक्ति का आह्वान किया जाता है। तांत्रिक शंकर बाबा ने जानकारी दी कि महाश्मशान पर नरमुंडों के साथ शव साधना की जा रही है। तामसिक क्रिया करने के लिए नरमुंडो में खप्पर भरकर 40 मिनट तक आरती उतारी गई। वही साथ ही नारियल व नींबू की बलि भी दी गई।
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