सहकारिता मंत्री ने जालंधर और गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नरों को तुरंत सर्वेक्षण करने के निर्देश
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
राज्य के कुछ हिस्सों में गन्ने की फसल पर लाल रोग के हमले का मुकाबला करने के लिए सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जालंधर और गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नरों को तुरंत सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं, जिससे नुकसान का अनुमान लगाया जा सके और इसको और अधिक फैलने से रोकने के लिए समय पर बचाव कार्य सुझाए जा सके। रंधावा ने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए कि एक व्यापक रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री जिनके पास कृषि विभाग भी है, के ध्यान में मामला लाया जाए जिससे संबंधित विभागों कृषि, बागबानी, केन कमिश्नर, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना और शूगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, रीजनल सेंटर, करनाल के साथ नजदीकी तालमले बनाकर इस पर कारगार योजना बनाई जा सके।
कृषि विशेषज्ञों के साथ तालमेल बनाए अधिकारी
गन्ने की किस्म में लाल रोग के हमले के कारण पैदा हुई ताजा स्थिति की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा कि संबंधित डिप्टी कमिश्नरों को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना, गन्ना कमिश्नर के अलावा कृषि और बागबानी विभागों के साथ तालमेल करके काम करने के निर्देश दिए हैं, जिससे इस बीमारी से निपटने के लिए पहल के आधार पर तौर-तरीके तलाशे जा सकें, जिससे इस नाजुक समय पर फसल को बचाया जा सके, जब नवंबर महीने से पिड़ाई का सीजन शुरू होने वाला है और आने वाले सालों में भी इस बीमारी को फैलने न दिया जाए। स. रंधावा ने उन कारणों का पता लगाने के लिए खोज तेज करने की जरूरत पर जोर दिया, जिन कारणों से गन्ने की सीओ 0238 किस्म पर रोग का अचानक हमला हुआ है।
गन्ना किसान घबराएं नहीं
सहकारिता मंत्री ने गन्ना उत्पादकों को इस बीमारी को लेकर न घबराने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने संबंधित अथॉरिटी को अधिक प्रभावित इलाकों की पहचान करने के लिए कहा है, जिससे इस बीमारी से कारगर ढंग से निपटने के साथ-साथ विस्तार सेवाओं के द्वारा इस रोग के लक्षणों और निपटने संबंधी जागरूकता पैदा की जा सके।
सेम की समस्या हो सकती है कारण : विशेषज्ञ
मीटिंग के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जुड़े शूगरकेन ब्रीडिंग इन्स्टीट्यूट, रीजनल सेंटर, करनाल के डायरेक्टर डॉ. एसके पांडे ने बताया कि सेम की समस्या के कारण बीते समय में यह बीमारी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पहले ही गन्ने की फसल पर प्रभाव डाल चुकी है। फिल्हाल, इस संबंधी गहरी खोज से खुलासा हुआ है कि गन्ने की सीओ-0238 किस्म ही प्रमुख तौर पर इस रोग का शिकार हुई है और इन राज्य के किसानों जिनका काफी नुकसान हुआ है, को भविष्य में इस किस्म को पैदा न करने के लिए बता दिया गया है। सहकारी सभाओं के रजिस्ट्रार विकास गर्ग ने बताया कि गन्ना किसानों को उच्च मानक बीज मुहैया करवाने को सुनिश्चित बनाने के लिए पहले ही ठोस प्रयास कर रहा है, जिससे इसकी रिकवरी अधिक हो सके।
रोग से बचाव के उपाय बताए
इस मौके पर पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी अनुसंधान केंद्र, कपूरथला के प्रिंसिपल शूगरकेन ब्रीडर डॉ. गुलजार सिंह संघेड़ा ने विस्तार में पेशकारी देते हुए सीओ-238 गन्ने की किस्म में लाल रोग के मुख्य कारणों, इसके फैलाव और बचाव के तरीके भी बताए। मीटिंग में सहायक गन्ना कमिश्नर वीके मेहता, सहकारी सभा के अतिरिक्त रजिस्ट्रार अमरजीत, शूगरफेड के जनरल मैनेजर कंवलजीत सिंह और राज्य की सभी 9 सहकारी चीनी मिलों के जनरल मैनेजर भी उपस्थित थे।