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राजस्थान के अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा….जानें क्या है इस दरगाह का इतिहास?

Poonam Rajput • LAST UPDATED : November 28, 2024, 10:07 am IST
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राजस्थान के अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा….जानें क्या है इस दरगाह का इतिहास?

Ajmer Dargah

India News (इंडिया न्यूज़),Ajmer Dargah:  अजमेर की दरगाह और उसके संबंध में हिंदू सेना द्वारा किए गए दावे से संबंधित यह विवाद एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। इस मामले में कोर्ट में सुनवाई और सर्वे की मांग से स्थिति और भी जटिल हो गई है। अजमेर दरगाह पवित्र स्थल है, जहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि स्थित है। ख्वाजा साहब की शिक्षा और उनकी धर्मनिरपेक्षता की वजह से यह स्थल विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के लिए समान रूप से श्रद्धा का केंद्र है। दरगाह का इतिहास सूफी संतों के धार्मिक समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है, और इस स्थल पर लाखों लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं।

हिंदू सेना का दावा

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि दरगाह पहले भगवान शिव के ‘संकटमोचन महादेव’ मंदिर का हिस्सा था, जिसे तोड़कर बाद में दरगाह बना दी गई। गुप्ता ने अदालत में इस दावे के समर्थन में 1910 में प्रकाशित एक पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें यह उल्लेख है कि पहले यहां एक हिंदू मंदिर हुआ करता था। उनका कहना है कि यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसपर एक मंदिर हुआ करता था, जिसे बाद में दरगाह में बदल दिया गया।

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सर्वे की मांग

हिंदू पक्ष ने अदालत से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस स्थल का सर्वे कराने की मांग की है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह स्थान पहले एक मंदिर था या नहीं। यदि अदालत ने सर्वे का आदेश दिया, तो यह विवाद और भी संवेदनशील हो सकता है, क्योंकि इससे संभावित विरोध और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जैसा कि अन्य धार्मिक स्थलों पर हुआ है।

धार्मिक संवेदनाएँ और संवेदनशीलता

दरगाह एक ऐसा स्थान है जिसे लाखों लोग श्रद्धा से पूजते हैं, और इसे लेकर धार्मिक संवेदनाएँ भी जुड़ी हुई हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया या सर्वे से धार्मिक समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है, जैसा हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद के मामले में हुआ था, जहां सर्वे के बाद हिंसा भड़क गई थी।

कोर्ट की भूमिका

कोर्ट को इस मामले में यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पक्षों को उचित सुनवाई मिले और यह विवाद संवेदनशील तरीके से हल हो। दरगाह और मंदिर के बीच ऐतिहासिक संबंधों की जांच एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसका परिणाम किसी बड़े धार्मिक विवाद को जन्म दे सकता है।

कोर्ट में सुनवाई के बाद अब यह विवाद बढ़ेगा

कोर्ट का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले को संवेदनशील तरीके से सुलझाने का रास्ता अपनाता है या नहीं। सभी की नजरें बुधवार की सुनवाई पर टिकी थीं अब यह स्पष्ट हो गया कि यह विवाद आगे बढ़ेगा । साथ ही सभी पक्षों को सुना जाएगा।

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क्या है अजमेर दरगाह का इतिहास…

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , अजमेर दरगाह पवित्र स्थल राजस्थान के अजमेर स्थित दरगाह भारत के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है। पर्शिया (फारस) से आए सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि यहीं पर है। ख़्वाजा साहब की धर्म निरपेक्ष शिक्षाओं के कारण ही, इस दरगाह में सभी धर्मों, जातियों और आस्था के लोग आते हैं।

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क्या अजमेर की दरगाह भगवान शिव का मंदिर है?

हिंदू सेना ने अजमेर की दरगाह को भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया था। हिन्दू सेना के राष्ट्रिय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इस संबंध में अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। उन्होंने अजमेर कोर्ट में एक केस फाइल किया था । उनका कहना था कि अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह बना दी गई थी।

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