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अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर आज कोर्ट में होगा फैसला, विष्णु गुप्ता बोले-'ख्वाजा साहब की शादी के…'

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : January 24, 2025, 10:59 am IST
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अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर आज कोर्ट में होगा फैसला, विष्णु गुप्ता बोले-'ख्वाजा साहब की शादी के…'

Ajmer Dargah Temple Case

India News (इंडिया न्यूज़),Ajmer Dargah Temple Case: राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह (ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह शरीफ) में मंदिर होने के दावे पर आज कोर्ट सुनवाई करेगा। केस दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा, ‘कोर्ट में प्रतिवादी बनने के लिए दायर आवेदनों पर सुनवाई होनी है। हम कोर्ट से मांग करेंगे कि इन आवेदनों को खारिज किया जाए।’

‘दरगाह उपासना अधिनियम के तहत नहीं आती’

गुप्ता ने आगे कहा, ‘कुछ ऐसे आवेदन भी दायर किए गए हैं, जिनमें हमारी याचिका पर सवाल उठाए गए हैं। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि दरगाह उपासना अधिनियम के तहत नहीं आती है। उपासना अधिनियम में साफ तौर पर कहा गया है कि उपासना अधिनियम एक कानून है, जिसमें मंदिर-मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा शामिल हैं। इसमें कहीं भी दरगाह या कब्रिस्तान का जिक्र नहीं है।’

‘ख्वाजा साहब की शादी का कोई सबूत नहीं’

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि चिश्ती परिवार के पास भी ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि वे ख्वाजा साहब के वंशज हैं। इतना ही नहीं, उनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ख्वाजा साहब शादीशुदा थे, जबकि वह एक सूफी संत थे। जब उन्होंने शादी ही नहीं की तो उनके वंशज कहां से आ गए? गुप्ता के मुताबिक, सभी आवेदन खारिज किए जाएंगे और इसके लिए हम कोर्ट से भी अनुरोध करेंगे।’

विष्णु गुप्ता को लगातार मिल रही हैं धमकियां

विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं। कोई उन्हें बम से उड़ाने की धमकी दे रहा है तो कोई जान से मारने की धमकी दे रहा है। उन पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि सुनवाई के दौरान चुनिंदा लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाए, ताकि सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनी रहे।

राजनेताओं द्वारा चादर भेजने पर रोक की मांग

ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स में नेताओं द्वारा चादर भेजे जाने पर विष्णु गुप्ता ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी चादर न भेजने के लिए पत्र लिखा था और इस मामले में कोर्ट में भी आवेदन किया था, जो अभी लंबित है। हम कोर्ट से मांग करेंगे कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर दरगाह में चादर भेजने पर रोक लगाई जाए। 1947 में शुरू हुई परंपरा को रोकना होगा।

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