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India News(इंडिया न्यूज़),Rajasthan News: राजस्थान सरकार के हालिया फैसले में बांसवाड़ा, पाली और सीकर संभागों का दर्जा समाप्त कर दिया गया है। इस फैसले से आदिवासी बहुल वागड़-कांठल क्षेत्र, जो बांसवाड़ा संभाग का हिस्सा था, के समग्र विकास की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। बांसवाड़ा संभाग, जिसे राजस्थान का पहला ट्राइबल संभाग होने का गौरव प्राप्त था, अब फिर से उदयपुर संभाग में शामिल कर दिया गया है।
विकास की उम्मीदों पर पानी
4 अगस्त 2023 को गहलोत सरकार ने 3 नए संभागों और 17 जिलों की घोषणा की थी। बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों को मिलाकर बनाए गए बांसवाड़ा संभाग से क्षेत्रीय विकास की संभावनाएं प्रबल हुई थीं। 45 लाख की जनसंख्या वाले इस संभाग में 25 तहसीलें और 1005 ग्राम पंचायतें शामिल थीं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और औद्योगिक विकास की योजनाओं को नई गति मिलने की उम्मीद थी। लेकिन अब इस फैसले से इन विकास योजनाओं पर रोक लग गई है। नगर परिषद के नगर निगम बनने और नगर विकास प्रन्यास की स्थापना जैसी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। बजट आवंटन में वृद्धि और प्रशासनिक स्वायत्तता की उम्मीदों को भी गहरा धक्का लगा है।
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प्रशासनिक ढांचे पर असर
संभाग का दर्जा हटने से जनजाति विकास आयुक्तालय, शिक्षा निदेशालय, चिकित्सा निदेशालय और अतिरिक्त मुख्य अभियंता कार्यालयों की स्थापना की योजनाएं ठप हो गई हैं। इनके तहत सृजित होने वाले नए पदों का निर्माण भी रुक गया है। पहले संभाग आयुक्त के रूप में नियुक्त नीरज के. पवन के स्थानांतरण और नई नियुक्ति नहीं किए जाने से पहले ही इस फैसले के संकेत मिलने लगे थे। अब, प्रशासनिक सुविधाएं जो बांसवाड़ा में उपलब्ध होनी थीं, वे वापस उदयपुर तक सीमित रह जाएंगी।
सर्कार के खिलाफ जनता और नेताओ में आक्रोश
राज्य सरकार के इस फैसले ने स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों में भारी नाराजगी पैदा की है। आदिवासी बहुल बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के लोगों को अब पुनः उदयपुर जाकर प्रशासनिक कार्य करवाने होंगे, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होगी। क्षेत्रीय नेताओं ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे आदिवासी क्षेत्र के विकास को बाधित करने वाला कदम बताया है। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
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