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मुख्यन्यायादीश ने किरन रिजिजू के बयान पर दी प्रतिक्रिया,कहा न्यायिक व्यवस्था में खाली पदों के कारण मामले लंबित

BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : July 16, 2022, 6:08 pm IST
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मुख्यन्यायादीश ने किरन रिजिजू के बयान पर दी प्रतिक्रिया,कहा न्यायिक व्यवस्था में खाली पदों के कारण मामले लंबित

मुख्यन्यायादीश एनवी रमना और कानून मंत्री किरन रिजिजू (FILE PHOTO).

इंडिया न्यूज़ (जयपुर):देश के मुख्यन्यायादीश एनवी रमना ने कानून मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा की न्यायप्रक्रिया में खाली पड़े पदों के कारण मामले लंबित है ,मुख्यन्यायादीश और कानून मंत्री दोनों जयपुर में अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरणों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे है ,कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था की हमारे देश में लंबित मामले 5 करोड़ को छू रहे हैं,25 साल बाद क्या स्थिति होगी? लोग मुझसे कानून मंत्री के रूप में पूछते हैं, कल मैंने अपने विभाग के अधिकारियों से 2 साल में लंबित मामलो की संख्या 2 करोड़ तक लाने को कहा है,आज़ादी के अमृत काल में हमारे पास एक न्याय प्रणाली होनी चाहिए जो तेज और सुलभ हो.

कानून मंत्री की बात का जवाब देते हुए मुख्यन्यायादीश ने कहा की यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं एक या दो चीजों पर प्रतिक्रिया दूं,जिसका उल्लेख कानून मंत्री ने किया है,मुझे खुशी है कि उन्होंने लंबित मामलो के मुद्दे को उठाया है,हम जज भी जब हम देश से बाहर जाते हैं तो हम भी एक ही सवाल का सामना करते हैं,केस कितने साल चलेगा? आप सभी जानते हैं कि लंबित मामलो के कारण क्या हैं, मुझे इसके बारे में विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है, मैंने पिछले मुख्य न्यायाधीशों-मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में पहले ही इसका संकेत दिया था,आप सभी जानते हैं कि इसका प्रमुख महत्वपूर्ण कारण है न्यायिक रिक्तियों को नही भरना और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना.

मुख्यन्यायादीश ने नालसा का उदाहरण देते हुए कहा की,इन सभी मुद्दों को सुलझाने के प्रयास में न्यायपालिका हमेशा आगे रहती है, मैं केवल इतना अनुरोध करता हूं कि सरकार को रिक्तियों को भरने के साथ-साथ बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने का काम करना होगा और नालसा सबसे अच्छा मॉडल है,यह एक सफलता की कहानी है,तो इसी तर्ज पर हमने पिछले मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में एक न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण का सुझाव दिया था,दुर्भाग्य से इसे नहीं लिया गया,हालाँकि मुझे आशा और विश्वास है कि इस मुद्दे पर फिर से विचार किया जाएगा.

 

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