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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Jodhpur News: जोधपुर की 51 वर्षीय महिला की कांगो बुखार से मौत हो गई। महिला बनाड़ क्षेत्र के नांदड़ी गांव की रहने वाली थी। बुखार आने के बाद महिला को जोधपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसे इलाज के लिए अहमदाबाद ले जाया गया, जहां मंगलवार (8 अक्टूबर) को इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। जोधपुर स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिली कि महिला की कांगो बुखार से मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमएचओ प्रीतम सिंह ने बताया कि अहमदाबाद से महिला की मौत की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर सीएमएचओ के निर्देश पर उनकी टीम बनाड़ के नांदड़ी क्षेत्र का सर्वे कर रही है। बताया जा रहा है कि मृतक महिला के परिवार ने गाय पाल रखी थी। संभवत: गायों में टिक्स के कारण इस तरह की बीमारी होती है। फिलहाल उस क्षेत्र का सर्वे किया जा रहा है। पशुओं के सैंपल लिए जा रहे हैं। इसके बाद पता चलेगा कि किस पशु में टिक्स हैं, जिसके कारण यह वायरस फैला और महिला की मौत हुई। कांगो बुखार के ट्रैक के बारे में जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पीपी किट पहनकर पूरे इलाके का सर्वे कर रही है और सैंपल एकत्रित कर रही है।
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. प्रीतम सिंह का कहना है कि यह बीमारी जानवरों में टिक्स के कारण होती है। अगर कोई जानवर संक्रमित है और उसमें टिक्स है और अगर वह टिक किसी इंसान को काट लेता है। तो यह बुखार होता है। इसके बाद मरीज के इलाज में भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इसलिए मरीज का इलाज ग्लव्स और पीपी किट पहनकर किया जाता है। अगर मरीज का कोई लार, खून, तरल पदार्थ किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आता है तो इस बीमारी के फैलने का खतरा रहता है। यह बुखार हवा से नहीं फैलता, सिर्फ संक्रमित मरीज के इलाज में लापरवाही से फैलने की आशंका रहती है।
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जानवरों के साथ रहने वाले लोगों को कांगो बुखार होने का खतरा ज्यादा रहता है। जानवरों की त्वचा पर चिपकने वाला हिमोरल नामक परजीवी इस बीमारी का वाहक होता है। कांगो फीवर से संक्रमित होने पर मरीज को बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना, सिर दर्द, आंखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण महसूस होते हैं। जोधपुर में पहला मामला 2014 में सामने आया था। एक निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्सिंग स्टाफ को कांगो हो गया था। उसकी मौत हो गई।
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