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kajali teej festival: कजली तीज महोत्सव मेला शुरू, अनोखी है जयपुर-बूंदी की तीज की कहानी

Ajay Yadav • LAST UPDATED : August 22, 2024, 3:22 pm IST

kajali teej festival

India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), kajali teej festival: राजस्थान में बूंदी की कजली तीज महोत्सव मेला गुरुवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तीज के दिन से शुरू हो गया है। यह मेला पन्द्रह दिन तक चलेगा। बूंदी में तीज की सवारी निकलने का भी अपने आप में एक अलग ही इतिहास है। माना जाता है कि यह तीज जयपुर से लाई गई थी। जिसके बाद तीज की सवारी जयपुर से निकाली जाती है।

कजली तीज मेला शुरू

जयपुर शहर का ऐतिहासिक कजली तीज मेला शुरू हो गया है। यह 15 दिन तक चलेगा। यह मेला भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तीज के दिन से मनाया जाता है। इसे बूंदी की शान और वीरता का प्रतीक माना जाता है। रियासत काल से ही यह परंपरागत तरीके से मनाया जाता आ रहा है। अब इस आयोजन का जिम्मा नगर पालिका के पास है। इसमें हर दिन विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

कजली तीज मेला के संयोजक मानस जैन ने बताया कि इस मेले का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे। यह 15 दिवसीय मेला कुंभा स्टेडियम में रहेगा। कजली तीज मेले के शुभ अवसर पर नगर परिषद द्वारा दो दिन तक भव्य शोभा यात्रा निकल जाएगी। इसमें आगरा और अन्य स्थानों से आई झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेगी। शोभायात्रा को देखने के लिए शहर में 2 दिन तक अधिक संख्या में जनसमूह उमड़ता है। वहीं 22 अगस्त से 5 सितंबर तक मेला मंच में प्रतिदिन विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

जीतकर लाए थे ‘कजली तीज

मानस जैन ने बताया कि बूंदी रियासत में गोठडा के जागीरदार बलवंत सिंह हाडा पक्के इरादे वाले जांबाज सैनिक थे। एक बार उनके किसी मित्र ने तंज कसा कि जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकलती है, क्या ही अच्छा हो कि वह अपने यहां भी निकले। तब उन्होंने जयपुर की उसी तीज को जीतकर लाने का मन बना लिया। बताया यह भी जाता है कि गोठड़ा दरबार जयपुर से जीतकर लाए थे ‘कजली तीज।

सावन की तीज पर जयपुर

बलवंत सिंह अपने विश्वसनीय सैनिकों को लेकर सावन की तीज पर जयपुर पहुंच गए। जयपुर में शाही तौर-तरीकों से सवारी निकल रही थी। बलवंत सिंह हाड़ा शाही लवाजमे के बीच से अपने कुछ जांबाज साथियों के पराक्रम से जयपुर की तीज को गोठड़ा ले आए। तभी से तीज माता की सवारी गोठड़ा में निकाली जाने लगी। बलवंत सिंह के देहांत के बाद बूंदी के महाराव राजा राम सिंह उसे बूंदी ले आए और तीज की सवारी बूंदी में निकलने लगी।

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