India News (इंडिया न्यूज़),Baba Khatu Shyam Birthday: राजस्थान के सीकर जिले में खाटूश्यामजी मंदिर में बाबा श्याम के जन्मोत्सव पर उन्हें बधाई दी जाती है। यह महोत्सव 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर मनाया जाएगा। इसके साथ ही हर साल लगने वाला बाबा श्याम का कार्तिक मेला महोत्सव आज यानी 10 नवंबर से शुरू हो गया है और 13 नवंबर तक चलेगा। बाबा श्याम के जन्मोत्सव मेले में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालुओं के श्याम दरबार में आने की उम्मीद है। बाबा का जन्मोत्सव इस बार कार्तिक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। श्री श्याम मंदिर कमेटी और जिला प्रशासन की ओर से लगभग सभी हिस्सों को पूरी तरह से मंजूरी दे दी गई है।
बाबा खाटूश्याम का जन्मोत्सव 12 नवंबर को मनाया जाएगा। श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पृथ्वी सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव कार्तिक मास की एकादशी यानी 12 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। बरटू नरेश का यह जन्मोत्सव 10 से 13 नवंबर तक कार्तिक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। कार्तिक मेले के दौरान बाबा श्याम के भक्त रात 10 बजे तक लगातार दर्शन कर सकते हैं। हालांकि श्रृंगार और भोग के दौरान बाबा के भक्त कुछ समय के लिए दर्शन नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा बाबा श्याम के भक्त रात 10 बजे तक ही दर्शन करें।
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बाबा खाटूश्यामजी के कार्तिक मंदिर के मद्देनजर जिला प्रशासन व पुलिस विभाग ने आश्रम की सुविधाओं, यातायात व सुरक्षा व्यवस्था की भी जानकारी ली। चिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा व पुलिस कप्तान भुवन रामचरण यादव कांस्टेबल विद्यार्थियों पर नजर रखे हुए हैं। सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग के करीब 600 विशेषज्ञ भी मदद में लगे हैं। मेले के दौरान चैन स्केनिंग व सुरक्षा व्यवस्था समेत खाटूश्यामजी के मंडा रोड, हनुमानपुरा मोड़, 52 स्टैंड, लखतर मेला ग्राउंड पर प्रमुख स्थानों पर बूथ कैमरे भी लगाए जाएंगे। इस बीच जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक संहिता की धारा 163 लागू कर दी है। जिसके तहत रजिस्ट्रियां पूरी तरह बंद रहेंगी। श्याम कुंड में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है और कांच की बोतलों में पेट्रोलियम पदार्थ लेकर आने पर रोक लगा दी गई है। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।
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खाटू श्याम बाबा भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। इनका असली नाम बर्बरीक था। बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक बचपन से ही वीर और महान योद्धा थे। उन्हें भगवान शिव से तीन अभेद्य बाण प्राप्त हुए थे। महाभारत के युद्ध में बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। भगवान कृष्ण ने उसे रोकने के लिए उसका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक ने अपना सिर दान कर दिया, लेकिन उसने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। श्री कृष्ण ने उसकी इच्छा स्वीकार कर ली और उसका सिर एक पहाड़ी पर रख दिया। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को महिमा दी कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजा करना।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है। यह मंदिर सीकर शहर से 43 किलोमीटर दूर खाटू गांव में है। मंदिर के मुख्य देवता श्याम बाबा मूंछ वाले युवा कृष्ण के रूप में स्थापित हैं। भक्तों का मानना है कि श्याम बाबा प्रेम, विवाह और व्यक्तिगत मामलों में विशेष आभूषण देते हैं। जो कोई भी उनसे मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार खाटू श्याम जी के जन्म की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। जब पांडव अपने प्राण बचाने के लिए एक जंगल से दूसरे जंगल भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच के पुत्र का नाम बोरिक था। बर्बरीक बचपन से ही साहसी और महान योद्धा थे। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक ने प्रार्थना की थी कि इस युद्ध में जो भी हारेगा वह नग्न होकर लड़ेगा। श्री कृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण करने वालों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया। श्री कृष्ण ने बारिक से दान में आशीर्वाद मांगा। बोरिक ने खुशी-खुशी अपना दर्पण दान कर दिया। श्री कृष्ण ने बारिक को कलियुग में श्याम नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया। तभी से लोग इस कलयुग में बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा के नाम से जानते और पूजते है।
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