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Rajasthan News: 20 साल बाद बाल विवाह के पिंजरे से मिली आजादी, पहली बार मिलेगा मुकदमे का खर्च

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : October 1, 2024, 11:06 am IST
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Rajasthan News: 20 साल बाद बाल विवाह के पिंजरे से मिली आजादी, पहली बार मिलेगा मुकदमे का खर्च

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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajasthan News:  आजादी के 75 साल बाद भी भारत का सबसे बड़ा राज्य बाल विवाह जैसी कुप्रथा झेल रहा है। आज भी लड़की के पैदा होते ही राजस्थान में उसका बाल विवाह कर दिया जाता है। सोमवार को जोधपुर जिले से ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां महज 4 महीने की उम्र में बाल विवाह का शिकार हुई अनिता को करीब 20 साल बाद इस पिंजरे से आजादी मिल गई है।

‘पहली बार बाल वधू को मिला कोर्ट खर्च’

राजस्थान की एक पारिवारिक अदालत ने अनीता के बाल विवाह को निरस्त कर दिया। यह मामला बाल विवाह निरस्तीकरण के पिछले मामलों से थोड़ा अलग था, क्योंकि अदालत ने उसके पति को अनीता को केस पर खर्च की गई राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।

’15 साल की होते ही ससुराल भेजने का बनाया दबाव’

किसान की बेटी अनीता की शादी चार महीने की उम्र में हो गई थी। जब अनीता 15 साल की हुई तो उसके ससुराल वालों ने उसे ससुराल भेजने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान उसे कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष धमकियां भी दी गईं। लेकिन अनीता अपने बड़े भाई और बहन की मदद से ससुराल जाने से इनकार करती रही। इस दौरान उसकी मुलाकात सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कृति भारती से हुई, जिन्होंने न केवल कोर्ट के जरिए उसके बाल विवाह को निरस्त कराने में मदद की, बल्कि पहली बार बाल वधू को कोर्ट खर्च दिलाने में भी मदद की।
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भारती ने बताया, ‘सोमवार को फैमिली कोर्ट के जज वरुण तलवार ने बाल विवाह को निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही ससुराल वालों को केस का खर्च भी देने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया, ‘बाल विवाह न केवल एक बुराई है, बल्कि एक अपराध भी है। इससे बच्चों का भविष्य खराब होता है। अगर लड़का या लड़की बाल विवाह को जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उन्हें बाल विवाह को निरस्त करने का अधिकार है। बाल विवाह की बुराई को खत्म करने के लिए समाज स्तर पर सार्थक प्रयासों की जरूरत है।’

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