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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajasthan News: प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित बड़े मंदिरों में नियमित रूप से सवामणी व अन्य समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भोग लगाया जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है। इन मंदिरों के लिए 23 से 26 सितंबर तक तीन से पांच दिनों का विशेष निरीक्षण व नमूनाकरण अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी मंदिरों में बनने वाले प्रसाद व सवामणी में बनने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों की जांच की जाएगी। मंदिरों को भोग का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह प्रमाण पत्र उन 54 मंदिरों को दिया जाएगा, जिन्होंने ईट राइट प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। दावा किया गया है कि यह प्रमाण पत्र खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी गई है।
हाल ही में एक्सपोजर साइंस एंड एनवायरमेंटल एपिडेमियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित ज्यूरिख के फूड पैकेजिंग फाउंडेशन के शोध में पता चला है कि खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग या तैयारी में इस्तेमाल होने वाले 3600 से अधिक रसायन मानव शरीर में पहुंच रहे हैं। करीब 100 रसायन मनुष्य के लिए हानिकारक हैं। इनमें बिस्फेनॉल नामक रसायन भी पाया गया है, जिसका उपयोग प्लास्टिक बनाने में होता है। यह रसायन हार्मोन के उत्पादन में बाधा डालता है।
प्रदेश के मंदिरों में भोग प्रसादी की गुणवत्ता हमेशा से उच्च कोटि की मानी गई है। लोग अपनी आस्था के अनुसार इस भोग का सेवन करते हैं। जबिक बाजारों में मिलने वाले पैक्ड फूड को खतरनाक रसायनों से बनाया जाता है ताकी लंबे समय तक चल सके।
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हैरानी की बात यह है कि कमिश्नरेट भविष्य में एक बार जांच कर गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा और ईट राइट सर्टिफिकेट भी सौंपेगा, जबकि भोग और प्रसाद हर दिन अलग-अलग समय पर बनते हैं। गंदगी की भी होगी जांच प्रसाद की गुणवत्ता के साथ गंदगी की भी जांच की जाएगी। जिन धार्मिक संस्थाओं ने भोग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है, उन्हें सर्टिफिकेट देने के लिए जरूरी औपचारिकताओं की जांच की जानी है। यदि कोई धार्मिक संस्था या ट्रस्ट अपनी गुणवत्ता की जांच कराना चाहे तो इस अवधि में उनके अनुरोध पर जांच कराई जा सकेगी।
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